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Delhi air pollution: दिल्ली का प्रदूषण पहुंचा इमरजेंसी लेवल पर, बन सकता है कैंसर जैसे रोगों का कारण

Delhi air pollution: विशेषज्ञों का कहना है कि कोयले पर प्रतिबंध एक स्वागत योग्य कदम है, लेकिन सरकार को राष्ट्रीय राजधानी की क्षेत्रीय सफाई पर ध्यान देना चाहिए. इसके लिए उद्योगों को प्राकृतिक गैस पर स्विच करने के लिए लाभ देने की आवश्यकता होगी.

By इंडिया वॉइस 

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Delhi air pollution: जहां एक तरफ दिल्लीवासी ठंड की मार झेल रहे हैं वहीं राजधानी की वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) भी पहुंची गंभीर श्रेणी में और यह जहरीली हवा कैंसर जैसे रोगों का बन सकता है कारण. पीएम 2.5 प्रदूषक (जो फेफड़ों में प्रवेश करता है और पुरानी सांस की बीमारियों का कारण बनता है) विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित सुरक्षित सीमा से लगभग 100 गुना अधिक है. इस सूक्ष्म प्रदूषक के लंबे समय तक संपर्क में रहने से फेफड़ों का कैंसर भी हो सकता है.

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हवा की गुणवत्ता में और गिरावट की आशंका

आने वाले दिनों में वायु प्रदूषण और खराब होने की आशंका को देखते हुए राष्ट्रीय राजधानी में प्रतिबंध फिर से लागू हो गए हैं. केंद्र के वायु गुणवत्ता पैनल (सीएक्यूएम) ने कहा कि दिल्ली-एनसीआर के कई हिस्सों में पहले से ही गहरे लाल क्षेत्रों में मौजूद हवा की गुणवत्ता में अगले कुछ दिनों में और गिरावट आने की आशंका है. इसने हवा के खराब होने के लिए घने कोहरे, शांत हवाओं और कम तापमान को जिम्मेदार ठहराया. वायु गुणवत्ता पैनल ने अब उद्योगों को स्वच्छ ईंधन पर स्विच करने और क्षेत्र में कोयले के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने के लिए कहा है. हालांकि, राष्ट्रीय राजधानी में बायोमास और मेटालर्जिकल कोक जैसे अन्य गंदे ईंधनों की अनुमति है.

उद्योगों को प्राकृतिक गैस पर स्विच करने की मांग

आपको बता दें कि, वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग की ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (जीआरएपी) की दक्षता पर सवाल उठाए जा रहे हैं. दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण में सुधार के बाद ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान के चरण III को वायु गुणवत्ता में सुधार के बाद हटा लिया गया था. ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान के चरण III में गैर-आवश्यक निर्माण और विध्वंस कार्य पर प्रतिबंध लगाया जाता है. हालांकि, वर्तमान में यह लागू है. केंद्र के वायु गुणवत्ता पैनल ने 4 जनवरी के आदेश में भारत मौसम विज्ञान विभाग और भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान के पूर्वानुमान का हवाला देते हुए कड़े प्रतिबंधों में ढील दी थी. विशेषज्ञों का कहना है कि कोयले पर प्रतिबंध एक स्वागत योग्य कदम है, लेकिन सरकार को राष्ट्रीय राजधानी की क्षेत्रीय सफाई पर ध्यान देना चाहिए. इसके लिए उद्योगों को प्राकृतिक गैस पर स्विच करने के लिए लाभ देने की आवश्यकता होगी.

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