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कपालभाति और अनुलोम-विलोम सही न करने से हो सकते हैं नुकसान

उम्र बढ़ने के साथ हमारी गतिविधियां सीमित होने लगती हैं और शरीर में जकड़न-अकड़न बढ़ने लगती है।

By Rajni 

Updated Date

मुंबई।  उम्र बढ़ने के साथ हमारी गतिविधियां सीमित होने लगती हैं और शरीर में जकड़न-अकड़न बढ़ने लगती है। यही नहीं, शरीर के हर अंग तक बेहतर ब्‍लड फ्लो ना हो पाने की वजह से ऑक्‍सीजन की कमी भी होने लगती है। इसके अलावा, फेफड़े कमजोर होने लगते हैं और हम कई बीमारियों की चपेट में आने लगते हैं।

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ऐसे में अगर आप नियमित रूप से जीवनभर अनुलोम विलोम और कपालभाति का अभ्‍यास करें तो ऐसी समस्‍याएं दूर रह सकती हैं। आइए जानते हैं अनुलोम विलोम और कपालभाति का अभ्‍यास किस तरह से करना चाहिए और इसे करते वक्‍त किन बातों को ध्‍यान में रखना चाहिए।

ध्‍यान से करें शुरुआत

सबसे पहले आप मैट पर आपने दोनों पैरों को मोड़कर पद्मासन, अर्ध पद्मासन या किसी भी उस मुद्रा में बैठें, जिसमें आप कंफर्टेबल हों। ध्‍यान की मुद्रा बनाएं और गहरी सांस लें और छोड़ें। अपनी आती जाती श्‍वांस पर ध्‍यान दें। ‘ओम’ शब्‍द का उच्‍चारण करें। आप प्रार्थना भी कर सकते हैं।

मेरुदंड को बिल्‍कुल सीधा रखें

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किसी भी आरामदायक आसन में बैठ जाएं। बेहतर होगा कि आप पद्मासन या अर्धपद्मासन की मुद्रा में बैठें। मेरुदंड को बिल्‍कुल सीधा रखें।इस अभ्‍यास को आप आंखें खोल कर भी कर सकते हैं और बंद कर भी।

अब गहरी सांस लें और अपने अंदर के तनाव और एंग्‍जायटी को ध्‍यान में लाते हुए सारी नकारात्‍मकता को सांस के साथ बाहर निकालने का प्रयास करें। गहरी सांस लें फोर्स के साथ सांस को बाहर की तरफ निकालें और छोटे छोटे सांस लेते रहें. ऐसा आप लगातार 1 मिनट करें फिर रिलैक्‍स करें।

अनुलोम-विलोम के तरीके

कपालभाति जब भी करें तो साथ में अनुलोम विलोम जरूरी करें। सुखासन या किसी भी आरामदायक पोजीशन में आसन बनाएं और कमर व गर्दन को सीधी रखें। तीसरी उंगली और अपने अंगूठे की मदद से एक नाक को बंद करें और गहरी सांस लें।

यहां हम 5 की गिनती तक इन्‍हेल, 5 की गिनती तक होल्‍ड और 5 की गिनती तक एक्‍हेल करेंगे। इस तरह 4 चक्र करें। पहले, दाहिनी नाक बंद करें और बाएं नाक से सांस लें। अब होल्‍ड करें और दाहिने नाक से सांस को छोड़ दें फिर दाहिने नाक से सांस लें, होल्‍ड करें और सांस निकालें। यह प्रक्रिया आप 4 चक्र तक करें।

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