एमसीडी प्रभारी दुर्गेश पाठक ने कहा कि अगले दो-तीन महीनों में पूरी दिल्ली का सीएनडी वेस्ट खत्म हो जाएगा। सीएनडी प्रॉसेसिंग यूनिट उपलब्ध होने के बावजूद यह कूड़ा सड़कों के किनारे फेंका जाता है, जिसके कारण पूरी दिल्ली में सीएनडी वेस्ट की समस्या देखने को मिलती है।
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नई दिल्ली। एमसीडी प्रभारी दुर्गेश पाठक ने कहा कि अगले दो-तीन महीनों में पूरी दिल्ली का सीएनडी वेस्ट खत्म हो जाएगा। सीएनडी प्रॉसेसिंग यूनिट उपलब्ध होने के बावजूद यह कूड़ा सड़कों के किनारे फेंका जाता है, जिसके कारण पूरी दिल्ली में सीएनडी वेस्ट की समस्या देखने को मिलती है। हमने पश्चिम जोन में तीन महीनों तक अपने पायलेट प्रॉजेक्ट का प्रयोग किया जो कि पूरी तरह सफल रहा है।
सीएनडी वेस्ट डम्पिंग प्वाइंट्स बनाकर लोगों को किया गया जागरूक
पायलट प्रॉजेक्ट के तहत सीएनडी वेस्ट डम्पिंग प्वाइंट्स बनाकर लोगों को जागरूक करने का काम किया। जिसके बाद आश्चर्यजनक परिणाम देखने को मिले। उन्होंने कहा कि जहां पहले पश्चिम जोन के तीनों वॉर्ड से 48 मीट्रिक टन कूड़ा प्रॉसेसिंग यूनिट तक पहुंचता था, मात्र 60 दिनों में 132 मीट्रिक टन कूड़ा पहुंचने लगा है।
लोग सीएनडी वेस्ट को डम्पिंग प्वाइंट्स पर फेंकते हैं जिसे एमसीडी उठाकर प्रॉसेसिंग यूनिट तक पहुंचाती है। समय-समय पर वहां पानी का छिड़काव होता है जिससे कूड़ा एक जगह इकट्ठा रहे। सफल प्रयोग को देखते हुए दिल्ली की मेयर, डिप्टी मेयर और एमसीडी अधिकारियों ने मिलकर इस पायलट प्रॉजेक्ट को पूरी दिल्ली में लागू करने का फैसला किया है। पूरी दिल्ली में 158 डम्पिंग प्वाइंट्स की पहचान की गई है, जहां पर सीएनडी वेस्ट फेंका जाएगा।
आम आदमी पार्टी के राजेंद्र नगर के विधायक एवं एमसीडी प्रभारी दुर्गेश पाठक ने शनिवार को पार्टी मुख्यालय में प्रेसवार्ता में कहा कि दिल्ली में दो प्रकार का कूड़ा देखने को मिलता है। पहला, फूल वेस्ट यानि कि गीला कूड़ा जो रीसायकिल नहीं किया जा सकता है। दूसरा, सीएनडी वेस्ट है जो निमार्ण के दौरान बची हुई सामग्री जैसे कि सीमेंट, बालू, पत्थर आदि से मिलकर बनता है। इसकी एक प्रॉसेसिंग यूनिट लगी हुई है लेकिन यह कूड़ा उस प्रॉसेसिंग यूनिट तक पहुंचता ही नहीं है।
दिल्ली में घर बनवाने वाले ज्यादातर लोग बची हुई सामग्री को एक बोरी में भरकर सड़क के किनारे रख देते हैं। ऐसा करते हुए वहां कई बोरियां लग जाती हैं जिसके बाद लोग उसपर कूड़ा भी फेंकना शुरू कर देते हैं और दिल्ली में जगह-जगह कूड़ा लग जाता है। उन्होंने कहा कि कई कोशिशों के बावजूद जब इस समस्या का कोई समाधान नहीं निकला तो पिछले दो-तीन महीने से दिल्ली में एक पायलेट प्रॉजेक्ट लागू किया हुआ है।
पहले दिल्ली के पश्चिम जोन में शुरू किए गए पायलट प्रोजेक्ट का शानदार रहा परिणाम
यह प्रोजेक्ट पहले दिल्ली के पश्चिम जोन में शुरू किया गया था जिसका परिणाम शानदार रहा है। जो भी व्यक्ति या बिल्डर घर बना रहा है, पीडब्ल्यूडी या एमसीडी की कोई सड़क बन रही है या घर मरम्मत का काम हो रहा है तो हमने इंजीनियर्स के माध्यम से एक लिस्ट तैयार की। जिसके बाद सभी से व्यक्तिगत रूप से मिलकर हमने उन्हें बताया कि सीएनडी वेस्ट को सड़कों के किनारे ना फेंका जाए। हम आपको जगह दे रहे हैं, अबसे सारा सीएनडी वेस्ट वहीं फेंका जाए।
इस पायलट प्रॉजेक्ट के तहत हमने सीएनडी वेस्ट के डम्पिंग प्वाइंट् बनाकर लोगों को जागरूक करने और सही दिशा दिखाने का काम किया गया। जिसके बाद हमें आश्चर्यजनक परिणाम देखने को मिले। लोग सीएनडी वेस्ट को डम्पिंग प्वाइंट्स पर फेंकते हैं जिसे एमसीडी उठाकर प्रॉसेसिंग यूनिट तक पहुंचाने का काम करती है।
इस प्रकार जहां पहले इन तीनों वॉर्ड से 48 मीट्रिक टन कूड़ा प्रॉसेसिंग यूनिट तक पहुंच रहा था, मात्र 60 दिनों में 132 मीट्रिक टन कूड़ा प्रॉसेसिंग यूनिट तक पहुंचने लगा। पहले 100 मीट्रिक टन कूड़ा दिल्ली में इधर-उधर फैला रहता था। ये डम्पिंग प्वाइंट्स एमसीडी की 25-25 ऊंची बाउंडरी बनाकर तैयार की गई हैं। हम लोगों ने पूरी दिल्ली में 158 डम्पिंग प्वाइंट्स की पहचान की है, जहां पर सीएनडी वेस्ट फेंका जाएगा। जिसके बाद हम कूड़े को सीएनडी प्रॉसेसिंग प्लान्ट तक पहुंचाने का काम करेंगे।
हमने वहां पर सीसीटीवी कैमरा लगाया हुआ है। जिसके माध्यम से हमें पता चलता रहता है कि कितनी गाड़ियां आ रही हैं और कितनी गाड़ियां जा रही हैं। सबसे खास बात यह है कि पहले इस समस्या के कारण एमसीडी राजस्व को काफी नुकसान पहुंचता था जो अब नहीं होगा। इस प्रॉजेक्ट के माध्यम से अगले दो महीने में पूरी दिल्ली से सीएनडी वेस्ट की समस्या खत्म कर देंगे।