बुलडोजर कार्रवाई के खिलाफ याचिका को सुनवाई के लिए फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने 7 सितंबर तक के लिए टाल दिया है।
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नई दिल्ली, 10 अगस्त 2022। सुप्रीम कोर्ट ने देश के कई राज्यों में चल रही बुलडोजर कार्रवाई के खिलाफ जमीयत उलेमा-ए-हिंद की याचिका पर सुनवाई 7 सितंबर के लिए टाल दी है।
सुनवाई के दौरान 13 जुलाई को जमीयत-उलेमा-ए-हिंद की ओर वकील दुष्यंत दवे ने बुलडोजर की कार्रवाई को एकतरफा बताते हुए कहा था कि इसमें एक समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है। इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि कानूनी कार्रवाई को बेवजह सनसनीखेज बनाया जा रहा है। यूपी सरकार ने बुलडोजर कार्रवाई पर सुप्रीम कोर्ट में जवाब दाखिल कर कहा है कि ये कार्रवाई कानून के तहत की गई है। जमीयत की याचिका अवैध निर्माण को बचाने की कोशिश है। यूपी सरकार ने जमीयत की याचिका को खारिज करने की मांग की है।
यूपी सरकार ने कहा है कि सहारनपुर में दो घरों का उतना निर्माण हटाया, जो सरकारी जमीन पर था । सहारनपुर में नाबालिग की गिरफ्तारी का दावा झूठा है। प्रयागराज का मामला हाई कोर्ट में है। इस मामले में जमीयत-उलेमा-ए-हिंद ने सुप्रीम कोर्ट में जवाब दाखिल कर कहा है कि इसे रूटीन कार्रवाई बताना गलत है। जमीयत ने कहा है कि यूपी के मुख्यमंत्री खुद सबक सिखाने के लिए बुलडोजर कार्रवाई का बयान देते हैं। जमीयत ने कहा है कि प्रयागराज में तोड़ा गया मकान जावेद की पत्नी के नाम था। सहारनपुर में बिना नोटिस के मकान तोड़ा, क्योंकि उसके किराएदार के बेटे पर दंगे का आरोप था।
इस मामले में यूपी सरकार ने हलफनामा दाखिल कर जमीयत पर मामले को गलत रंग देने का आरोप लगाया है। यूपी सरकार ने कहा है कि जिन पर कार्रवाई हुई उन्हें तोड़ने का आदेश कई महीने पहले जारी हुआ था और खुद हटा लेने के लिए काफी समय दिया गया था। बुलडोजर की कार्रवाई से दंगे का कोई संबंध नहीं। उसका मुकदमा अलग है।