संसद को लेकर कई दिनों से विपक्षी पार्टी विरोध कर रहे थे। लेकिन अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है।
Updated Date
नई दिल्ली । हर जगह बस नए संसद भवन के उद्घाटन का मुद्दा उठ रहा है अभी तक 19 विपक्षी पार्टी ऐसी है जिन्होंने इस उद्घाटन समारोह का बहिष्कार कर दिया है। उनका साफतौर पर कहना है कि आखिर पीएम मोदी क्यों उद्धाटन कर रहे है देश का पहला नागरिक राष्ट्रपति होता है, उनसे क्यों नहीं संसद भवन का उद्धाटन करवाया जा रहा है।
सुप्रीम कोर्ट पहुंचा केस
इस पर अब संग्राम काफी ज्यादा हो गया है। क्योंकि अब एक पीआईएल सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई है। पीआईएल में कहा गया है कि राष्ट्रपति देश की प्रथम नागरिक हैं। और संविधान के अनुच्छेद 79 की मानें तो राष्ट्रपति संसद का अहम हिस्सा है और लोकसभा सचिवालय ने यह फैसला लिया है कि राष्ट्रपति से नए संसद भवन का उद्धाटन ना कराया जाए यह फैसला काफी गलत है।
कौन हैं याचिकाकर्ता?
जिसने याचिका दाखिल की है , उसका नाम सी आर जयासुकिन है। जयासुकिन तमिलनाडु का रहने वाला है। यह पहली बार नहीं है जब उनकी तरफ से पीआईएल दाखिल की गई है। वो इससे पहले भी कई याचिका दाखिल कर चुके हैं। उनकी इस याचिका में कहा गया कि देश के संवैधानिक प्रमुख होने के नाते राष्ट्रपति ही प्रधानमंत्री की नियुक्ति करते हैं और सभी बड़े फैसले राष्ट्रपति के नाम पर ही लिए जाते हैं।
क्या दी गई है दलील?
याचिकाकर्ता ने अपने दलील में कहा है कि अनुच्छेद 85 के मुताबिक राष्ट्रपति ही संसद का सत्र बुलाते हैं और अनुच्छेद 87 के तहत उनका सदन में पहले अभिभाषण होता है। जिसमें वह दोनों सदनों को संबोधित करते हैं। संसद कोई भी विधायक को पारित करने के लिए भी राष्ट्रपति की मंजूरी चाहिए होती है और इसके बाद ही कानून बनता है। इसीलिए नए संसद भवन का उद्धाटन राष्ट्रपति से ही करवाना चाहिए।