राज्यसभा के लिए नामांकन का दौर जारी है। विदेश मंत्री एस जयशंकर के राज्यसभा के लिए गुजरात से नामांकन करने के दो दिन बाद बुधवार को भाजपा के दो और उम्मीदवारों ने भी अपने नामांकन पत्र दाखिल किए।
Updated Date
अहमदाबाद। राज्यसभा के लिए नामांकन का दौर जारी है। विदेश मंत्री एस जयशंकर के राज्यसभा के लिए गुजरात से नामांकन करने के दो दिन बाद बुधवार को भाजपा के दो और उम्मीदवारों ने भी अपने नामांकन पत्र दाखिल किए।
कांग्रेस ने नहीं उतारे अपने उम्मीदवार
राज्य में तीन राज्यसभा सीटों के लिए 24 जुलाई को प्रस्तावित चुनाव के एकतरफा होने की उम्मीद है। क्योंकि कांग्रेस ने यह कहते हुए किसी भी उम्मीदवार को मैदान में न उतारने का फैसला किया है कि उसके पास पर्याप्त संख्या नहीं है। भाजपा ने राज्यसभा के लिए बुधवार को अपने शेष दो उम्मीदवारों के तौर पर केसरी सिंह झाला और बाबूभाई देसाई के नामों की घोषणा की।
झाला और देसाई ने गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल तथा प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सीआर पाटिल के साथ दोपहर में राज्य विधानसभा भवन में निर्वाचन अधिकारी रीता मेहता को अपने नामांकन पत्र सौंपे।
मालूम हो कि केसरी सिंह झाला दिवंगत कांग्रेस नेता एवं पूर्व केंद्रीय पर्यावरण मंत्री दिग्विजयसिंह झाला के बेटे हैं। वह सौराष्ट्र के वांकानेर के शाही राजपूत परिवार से सम्बद्ध हैं। वह पिछले कई सालों से भाजपा में सक्रिय थे। देसाई उत्तर गुजरात के बनासकांठा जिले में कांकरेज के पूर्व विधायक (2007-2012) हैं और ‘मालधारी’ (पशुपालक) समुदाय से आते हैं।
नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि 13 जुलाई
नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि 13 जुलाई है। नामांकन वापस लेने की अंतिम तिथि 17 जुलाई है। यदि आवश्यक हुआ तो मतदान 24 जुलाई को होगा। चार साल पहले जयशंकर ने पहली बार गुजरात से राज्यसभा के लिए नामांकन दाखिल किया था। उन्होंने सोमवार को दूसरी बार अपना नामांकन दाखिल किया। गुजरात की 11 राज्यसभा सीटों में से आठ पर वर्तमान में भाजपा और शेष पर कांग्रेस का कब्जा है।
भाजपा के कब्जे वाली आठ सीट में से एस जयशंकर, जुगलजी ठाकोर और दिनेश अनावाडिया का कार्यकाल 18 अगस्त को समाप्त हो जाएगा। कांग्रेस ने पहले ही कह दिया था कि वह गुजरात की तीन राज्यसभा सीट के लिए चुनाव में उम्मीदवार नहीं उतारेगी, क्योंकि 182 सदस्यीय राज्य विधानसभा में उसके पास पर्याप्त विधायक नहीं हैं।
पिछले साल के अंत में हुए विधानसभा चुनावों में भाजपा ने रिकॉर्ड 156 सीट जीतीं, जबकि कांग्रेस ने राज्य के गठन के बाद से अपना सबसे खराब प्रदर्शन किया और वह सिर्फ 17 सीट हासिल कर पाई थी।