उत्तर प्रदेश की पवित्र नगरी अयोध्या में पद्म विभूषण जगद्गुरु रामभद्राचार्य के जन्म का अमृत महोत्सव 14 से 22 जनवरी तक आयोजित किया जाएगा। यह कार्यक्रम गुरुजी के शिष्यों की ओर से आयोजित होगा। इसी दौरान अयोध्या में रामलला के भव्य मंदिर का लोकार्पण और प्राण प्रतिष्ठा समारोह भी होगा।
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अयोध्या। उत्तर प्रदेश की पवित्र नगरी अयोध्या में पद्म विभूषण जगद्गुरु रामभद्राचार्य के जन्म का अमृत महोत्सव 14 से 22 जनवरी तक आयोजित किया जाएगा। यह कार्यक्रम गुरुजी के शिष्यों की ओर से आयोजित होगा।
इसी दौरान अयोध्या में रामलला के भव्य मंदिर का लोकार्पण और प्राण प्रतिष्ठा समारोह भी होगा। नौ दिनों तक आयोजित होने वाले अमृत महोत्सव समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल होंगे। आयोजन समिति की तरफ से पीएम मोदी समेत खास मेहमानों को आमंत्रण भेजा जा चुका है।
अमृत महोत्सव में शामिल होंगे दुनियाभर के लाखों श्रद्धालु
जगद्गुरु रामभद्राचार्य के उत्तराधिकारी आचार्य रामचंद्र दास ने बताया कि नौ दिनों के इस अमृत महोत्सव में दुनियाभर के लाखों श्रद्धालु अयोध्या आएंगे। इसी दौरान अयोध्या में रामलला के भव्य मंदिर का लोकार्पण और प्राण प्रतिष्ठा समारोह भी होना है। आचार्य रामचंद्र दास ने कहा कि महोत्सव में अयोध्या आने वाले श्रद्धालुओं को आनंद की दोहरी अनुभूति होगी। उन्हें गुरु और गोविंद दोनों का आशीर्वाद एक ही जगह पर मिल सकेगा।
आचार्य रामचंद्र दास ने कहा- ज्ञानवापी मामले में मुसलमानों को अपना दावा छोड़ पेश करनी चाहिए मिसाल
आचार्य रामचंद्र दास ने ज्ञानवापी और मथुरा विवाद पर भी अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि ज्ञानवापी नाम आते ही यह साफ हो जाता है कि यह हिंदुओं की जगह है। इस मामले में अब मुसलमानों को अपना दावा छोड़ कर मिसाल पेश करनी चाहिए। वैसे ASI सर्वे के बाद खुद ही दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। उनका कहना है मथुरा का विवाद भी गलत है। सभी जानते हैं कि वह जगह भगवान श्री कृष्ण का जन्म स्थान है।
रामचंद्र दास ने दावा किया कि हमारे गुरु रामभद्राचार्य अयोध्या के राम मंदिर विवाद की तरह मथुरा मामले में भी कोर्ट में सबूत पेश करेंगे। यह ऐसे सबूत होंगे, जिनसे यह साफ हो जाएगा कि वहां पहले से मंदिर था और यह वो जगह है जहां भगवान श्री कृष्ण का जन्म स्थान है। उन्होंने कहा कि देश में अब धार्मिक स्थलों को लेकर बेवजह के विवाद नहीं खड़े करने चाहिए। उनके मुताबिक हिंदुओं ने कभी भी मक्का-मदीना पर कोई दावा पेश नहीं किया।