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बांसवाड़ा-डूंगरपुर लोकसभा सीट पर मचा घमासान: क्या इस लोकसभा सीट पर स्थानीय मुद्दे होंगे हावी,जाने सियासी गणित

सौ द्वीपों के शहर’के रूप में विख्यात बांसवाड़ा शहर राजस्थान में सबसे अधिक बारिश वाला शहर है.भारी वर्षा के कारण यह राजस्थान का सबसे हरा-भरा शहर है.वहीं बात करे यहां की राजनीति की तो वह भी यहां काफी रोचक है.आपको बताते है बांसवाड़ा सीट का सियासी गणित.

By Rajasthan Bureau@indiavoice.co.in 

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बांसवाड़ा लोकसभा सीट

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बांसवाड़ा लोकसभा सीट वैसे तो कांग्रेस का गढ़ रही है, लेकिन यह सीट भी हर चुनाव में नए चेहरे पर दाव लगाती आई है.2014 के बाद यहां दो बार से बीजेपी को जीत मिल रही है, लेकिन दोनों बार प्रत्याशी नए रहे.यहां अब तक लोकसभा के कुल 17 चुनाव हुए हैं.यहां 12 बार जीत हासिल करने वाली कांग्रेस पार्टी ने भी हर बार प्रत्याशी बदल कर ही विजय हासिल की है.यही स्थिति बीजेपी की भी रही है.दो बार से इस सीट पर काबिज बीजेपी इस बार यहां हैट्रिक लगाने की फिराक में है.वहीं कांग्रेस ने भी नए चेहरे के साथ पूरी ताकत के साथ इस सीट पर कब्जा करने के प्रयास किए है.

वहीं दुसरी ओर यहां कांग्रेसी कार्यकर्ता अपनी ही पार्टी को वोट नहीं देने की अपील करते भी दिखाई दिए.आपको बता दें बीजेपी ने पहले क्षेत्र के दिग्गज आदिवासी नेता महेंद्रजीत सिंह मालवीया को पार्टी में शामिल कर कांग्रेस को करारा जवाब दिया और अब उनके सहारे आदिवासी वोट बैंक में सेंध लगा रही है.नामांकन के आखिरी दिन 4 अप्रैल को पूर्व मंत्री अर्जुन सिंह बामनिया को कांग्रेस ने प्रत्याशी घोषित किया.लेकिन उन्होंने नामांकन नहीं भरा तो समय समाप्त होने से 15 मिनट पहले कांग्रेस ने अरविंद डामोर को प्रत्याशी बनाकर नामांकन भरवाया.इसके बाद नाम वापसी के अंतिम दिन बीएपी को समर्थन दे दिया और कांग्रेसी प्रत्याशी को नाम वापस लेने के निर्देश दिए.इसके बावजूद प्रत्याशी डामोर ने नाम वापस नहीं लिया.ऐसे में प्रदेश नेतृत्व ने कार्यकर्ताओं को पार्टी के प्रत्याशी डामोर की बजाय बीएपी को समर्थन करने के निर्देश दिए.कांग्रेसी प्रत्याशी के मैदान में टिके रहने से अब इस सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला बन चुका है.

बांसवाड़ा – डूंगरपुर लोकसभा सीट पर बेहद ही दिलचस्प मुकाबला है अब ऊंट किस करवट बैठता है ये तो आने वाली 4 जून को ही पता चल पाएगा.

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