जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग कोरोना से निपटने की तैयारियों में जुटा हुआ है। चुनावी सीजन में काफी लापरवाही बरती जा रही है, जिसने स्वास्थ्य विभाग की चिंता काफी बढ़ा दी है।
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हरिद्वार, 29 जनवरी। बीते कुछ दिनों से उत्तराखंड के साथ हरिद्वार में भी एकाएक कोरोना के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। जिले में कोरोना टेस्ट भी कम संख्या में हो रहे हैं। ऐसे में कई लक्षणों वाले मरीज अपना टेस्ट नहीं कर पा रहे हैं। चुनावी सीजन में काफी लापरवाही बरती जा रही है, जिसने स्वास्थ्य विभाग की चिंता काफी बढ़ा दी है।
अधिकारियों को सता रहा डर
अधिकारियों को डर सत्ता रहा है कि हरिद्वार का हाल बीते साल कुंभ की तरह न हो जाए, जब कोरोना ने यहां जमकर तबाही मचाई थी। यही कारण है कि जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग कोरोना से निपटने की तैयारियों में जुटा हुआ है। सरकारी, छोटे बड़े और निजी अस्पतालों के अलावा स्वास्थ्य विभाग ने सिडकुल की एक बड़ी फैक्ट्री में 200 बेड का एक सीसीसी यानी ‘कोविड केयर सेंटर’ तैयार किया है।
संक्रमितों की संख्या में आ सकता हैं भारी उछाल
हरिद्वार जिले में इस समय बामुश्किल चार से साढ़े चार हजार लोगों की रोजाना कोविड जांच हो रही है। जिसमें करीब पांच सौ लोग संक्रमित आ रहे हैं। बीते कुछ दिनों से संक्रमण दर दस से पंद्रह फीसदी के बीच बनी हुई है। ऐसा इसलिए चूंकि फिलहाल टेस्टिंग काफी कम हो रही है। यदि इसी टेस्टिंग को बढ़ाकर पन्द्रह से बीस हजार प्रतिदिन कर दिया जाए तो संक्रमितों की संख्या में भारी उछाल आ सकता है।
टेस्ट कराने से बच रहे हैं लोग
फिलहाल कई लोग टेस्ट कराने से भी बच रहे हैं। चुनावी सीजन में कोरोना वायरस बड़ी संख्या में लोगों को अपनी जद में ले सकता है। यही कारण है कि स्वास्थ्य विभाग ने अभी से कमर कसनी शुरू कर दी है। भले ही अभी कोरोना से ग्रसित अत्यधिक गंभीर मामले सामने ना आ रहे हों, बावजूद इसके विभाग अपनी तैयारियों में जुटा हुआ है। जिले के 7000 से अधिक बेड छोटे-बड़े अस्पताल और होटलों में विभाग ने अभी से सुरक्षित कर दिए हैं।
तीसरी लहर से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. कुमार खगेंद्र सिंह का कहना है कि स्वास्थ्य विभाग कोरोना की तीसरी लहर को लेकर पूरी तरह से तैयार है। कोरोना की तीसरी लहर ओमिक्रोन प्रभावित है और इसके फैलने की दर भी काफी अधिक है। तीसरी लहर से निपटने के लिए जिले के तमाम छोटे-बड़े अस्पतालों को तो और मजबूत किया है। साथ ही दूसरी लहर में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले उन सीसीसी को भी दोबारा तैयार कराया है जहां पर दूसरी लहर में मरीजों को रखकर उपचार दिया गया था।