कोई रोजगार को लेकर एक दूसरे पर निशाना साध रहा है तो कोई बीते 5 वर्षों में अपराध के आंकड़ों पर निशाना साधने में जुटा हुआ है। यानी कि कुल मिलाकर इन दिनों एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप का दौर चालू है।
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Crime Graph In Yogi Government : यूपी में चुनाव का बिगुल बज चुका है लिहाज़ा इन दिनों सभी पार्टियां जोर शोर से चुनावी मैदान में उतर चुकी हैं। मीडिया के समक्ष दिए जाने वाले बयान में पार्टियों द्वारा लगातार एक दूसरे पर जम कर निशानेबाजी भी शुरू हो गई है। कोई रोजगार को लेकर एक दूसरे पर निशाना साध रहा है तो कोई बीते 5 वर्षों में अपराध के आंकड़ों पर निशाना साधने में जुटा हुआ है। यानी कि कुल मिलाकर इन दिनों एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप का दौर चालू है। ऐसे में हम आपको NCRB के आंकड़ों के आधार पर आपको बताएंगे कि किसके शासनकाल में प्रदेश में क्राइम की स्थिति कैसी रही है ?
योगी सरकार में कानून व्यवस्था
सबसे पहले हम योगी सरकार के कार्यकाल के बारे में बात करेंगे। वर्ष 2017 में सत्ता में आई योगी सरकार की बात करें तो हाल ही में NCRB ने वर्ष 2020 के आंकड़े जारी किए। जिसमें यह देखा गया कि योगी सरकार में आईपीसी की धाराओं के तहत हर साल औसतन 3 लाख 40 हजार 170 मामले दर्ज किए गए। ऐसे में इन मामलों में हिंसक वारदातों की कुल संख्या 59 हजार 277 थी।
योगी सरकार में कितनी सुरक्षित रही बेटियां
योगी सरकार में हर साल अपहरण की औसतन 17 हजार 784 मामले दर्ज किए गए। बात करें चोरी की तो प्रदेश में 49 हजार 874 मामले चोरी के दर्ज किए गए। इसके अलावा योगी सरकार के कार्यकाल में बेटियां कितनी सुरक्षित रही ये एक महत्वपूर्ण सवाल है ? क्योंकि अक्सर चुनाव के वक्त में सभी राजनीतिक दलों का यह अहम मुद्दा होता है कि हम बेटियों की सुरक्षा करेंगे। उन्हें बेहतर वातावरण प्रदान करेंगे।
योगी सरकार में दंगे
NCRB की मुताबिक योगी सरकार में प्रदेश भर में हर साल औसतन 3 हजार 507 मामले दर्ज किए गए। वहीं IPC और स्थानीय कानूनों के तहत महिलाओं के खिलाफ अपराध के 56 हजार 174 मामले हर वर्ष दर्ज किए गए। इसके अलावा बात करें दंगों की तो हर वर्ष दंगों के औसतन 7 हजार 345 मामले दर्ज किए गए।
कैसा रहा अखिलेश यादव का कार्यकाल क्या कहते हैं आंकड़े ?
योगी सरकार के कार्यकाल में अपराध की तो बात हो गई अब बात करते हैं 2012 से लेकर 2017 के बीच अखिलेश सरकार के कार्यकाल की।
हिंसक अपराध
NCRB के आंकड़े बताते हैं कि 2012 से 2017 के बीच प्रदेश में आईपीसी की धाराओं के तहत हर साल औसतन 2 लाख 37 हजार 821 मामले दर्ज किए गए। वहीं हिंसक अपराध की बात करें तो हर साल औसतन 44 हजार 39 मामले दर्ज किए गए। इसी तरह अपहरण के 12 हजार 64 मामले हर वर्ष दर्ज किए गए। इसके अलावा चोरी के मामले हर वर्ष 42 हजार 57 था।
अखिलेश सरकार में दुष्कर्म के मामले/ मुजफ्फरनगर दंगा
सबसे महत्वपूर्ण बहन बेटियों के साथ होने वाले दुष्कर्म के मामले इस दौरान 3 हजार 264 मामले हर वर्ष दर्ज किए गए। वहीं आईपीसी और स्थानीय कानूनों के तहत महिलाओं पर अत्याचार के 36 हजार 41 मामले हर वर्ष सामने आए।
साथ ही अखिलेश सरकार में दंगों के हर साल औसतन 6 हजार 607 मामले दर्ज किए गए। बता दें कि मुजफ्फरनगर का सांप्रदायिक दंगा अखिलेश यादव के कार्यकाल में ही हुआ था जिसमें 50 से अधिक लोगों की मृत्यु हो गई थी।
आंकड़ों के मुताबिक भाजपा सरकार में बढ़ा अपराध का ग्राफ
यानी अगर हम एनसीआरबी के आंकड़ों से दोनों सरकारों की तुलना करें तो हम देखेंगे कि कहीं न कहीं वर्ष 2017 से 2021 तक के भाजपा सरकार में अपराध का ग्राफ काफी हद तक बढ़ा है।
यही कारण है कि विपक्ष लगातार इन दिनों भाजपा पर आक्रामक है। विपक्षी दलों की मानें तो उनका कहना है कि प्रदेश में चाहे वो बेटियों की सुरक्षा को लेकर बात हो या गुंडाराज की सरकार कहीं न कहीं प्रदेश में अपराध को रोकने में विफल रही है।