उदयपुर जिले की अपनी ही फितरत है.झीलों के शहर उदयपुर में जैसे पर्यटक हमेशा आते और जाते रहते हैं.ठीक उसी प्रकार से यहां नेताओं का भी कुछ ऐसा ही रवैया है.यहां हर चुनाव में जीतने वाले प्रत्याशी की या तो पार्टी बदल जाती है या वह खुद बदल जाता है.जानते है उदयपुर लोकसभा सीट का सियासी गणित.
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उदयपुर लोकसभा क्षेत्र
आजादी के बाद उदयपुर में पहला लोकसभा चुनाव साल 1952 में हुआ था.उस समय कांग्रेस के बलवंत सिंह मेहता यहां से सांसद चुने गए थे.2014 के चुनावों के बाद से इस सीट पर बीजेपी के अर्जुन लाल मीणा लगातार काबिज हैं.इस बार के लोकसभा चुनाव में उदयपुर में दो ब्यूरोक्रेट्स के बीच मुकाबला है.भाजपा के प्रत्याशी मन्नालाल रावत उदयपुर में पूर्व परिवहन उपायुक्त रह चुके हैं.वहीं कांग्रेस प्रत्याशी ताराचंद मीणा उदयपुर में कलेक्टर रह चुके हैं और यहीं से रिटायर हुए हैं.
तीसरा वजूद यहां भारतीय आदिवासी पार्टी का है, जिसके सिंबल पर प्रकाशचंद्र बुझ भी मैदान में हैं.बीएपी कांग्रेस के वोट बैंक में सेंध लगा सकती है, जिसका फायदा बीजेपी को हो सकता है.बीजेपी इस लोकसभा क्षेत्र की आठ में से पांच विधानसभा सीटों पर काबिज है, बीएपी दो और कांग्रेस के पास महज एक सीट है,इस बार आरएसएस के दबदबे और हिंदू संगठनों की सक्रियता चुनावी माहौल को बीजेपी के पक्ष में लाने में जुटी रही है.वहीं बीजेपी नेता पीएम मोदी के चेहरे और विकास कार्यों के भरोसे हैं.
उदयपुर लोकसभा सीट पर पिछले 3 दशक में भाजपा का दबदबा रहा है.यह सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है.आदिवासी अंचल में भाजपा ने अपनी पकड़ बनाई है.उदयपुर लोकसभा सीट पर मतदाताओं की संख्या की बात की जाये तो इस सीट पर SC,ST,OBC मतदाताओं की तादाद सबसे ज्यादा है.2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के प्रत्याशी अर्जुन लाल मीणा ने कांग्रेस के रघुवीर सिंह मीणा को हराया था.वहीं 2019 के लोकसभा चुनाव की बात की जाये तो भाजपा के अर्जुनलाल मीणा दूसरी बार यह सीट जीते थे.इस चुनाव में प्रदेश की सभी 25 लोकसभा सीटों पर NDA ने जीत दर्ज की थी.
इनमें से 24 सीटें भाजपा और एक इसके सहयोगी दल राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के खाते में गई थी.राजस्थान की सियासत में बरसों से एक बात कही जाती है कि जो मेवाड़ जीतता है, वहीं राजस्थान भी जीतता है.राजस्थान की उदयपुर लोकसभा सीट मेवाड़ संभाग की चार सीटों में से एक है.यहां कि तीन अन्य सीटें राजसमंद, चित्तौड़गढ़ और बांसवाड़ा हैं.