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SC: लखीमपुर हिंसा मामले में आशीष मिश्रा की जमानत पर फैसला सुरक्षित, जमानत याचिका का योगी सरकार ने किया विरोध

सुनवाई के दौरान यूपी सरकार ने केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा की ज़मानत याचिका का विरोध किया। सरकार की ओर पेश AAG गरिमा प्रसाद ने कहा कि ये एक जघन्य अपराध है। ऐसे मामले में आरोपी को जमानत देने से समाज में ग़लत संदेश जाएगा।

By इंडिया वॉइस 

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Lakhimpur Violence Case: लखीमपुर खीरी मामले में आरोपी और केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा की जमानत पर गुरुवार को सुनवाई हुई. इस सुनवाई में यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखा है, जिसमें उत्तर प्रदेश सरकार की ओर पेश AAG गरिमा प्रसाद ने कहा कि ये एक जघन्य अपराध है. ऐसे मामले में अगर आरोपी को जमानत दी जाती है तो समाज में ग़लत संदेश जाएगा. यूपी सरकार द्वारा जमानत का विरोध किए जाने के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है.

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सरकार के ओर से वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि आशीष मिश्रा पिछले एक साल से जेल में हैं. एक बार उनको जमानत मिली फिर सुप्रीम कोर्ट ने बेल खारिज कर दिया था. इस मामले में 400 से ज्यादा गवाह हैं, जिनका बयान होना. ऐसे में पांच साल तक ट्रायल चलेगा.

बता दें कि लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी का बेटा आशीष मिश्रा आरोपी है. आरोप है कि अक्टूबर 2021 में लखीमपुर खीरी के तिकोनिया में प्रदर्शन कर रहे किसानों पर आशीष मिश्रा की कार ने किसानों को रौंद दिया था. जिसमें आठ किसानों की मौत हो गई थी. इसके बाद प्रदर्शनकारियों ने एसयूवी सवार लोगों पर हमला कर दिया था, जिसमें कार का ड्राइवर और दो बीजेपी कार्यकर्ता मारे गए थे.

इस मामले में आरोपी आशीष मिश्रा जेल में बंद है. जमानत के लिए आरोपी आशीष मिश्रा ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी लेकिन बीते साल जुलाई में दिए अपने फैसले में हाईकोर्ट की आशीष मिश्रा की जमानत याचिका का खारिज कर दिया था। गौरतलब है कि तिकोनिया कांड में हाईकोर्ट ने पिछले साल 10 फरवरी को आशीष मिश्रा को जमानत दे दी थी लेकिन बाद में सुप्रीम कोर्ट ने जमानत आदेश को निरस्त करते हुए उच्च न्यायालय को निर्देश दिए थे कि वह पीड़ित पक्ष को पर्याप्त मौका देकर जमानत याचिका पर फैसला सुनाए. इस पर उच्च न्यायालय ने जमानत याचिका पर फिर से सुनवाई की थी.

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