वाराणसी स्थित ज्ञानवापी परिसर के वैज्ञानिक सर्वे से दुनिया के सामने इतिहास का सच सामने आ जाएगा। ASI की टीम सोमवार सुबह ज्ञानवापी परिसर में वैज्ञानिक तरीके से सर्वे के लिए पहुंची।
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वाराणसी। वाराणसी स्थित ज्ञानवापी परिसर के वैज्ञानिक सर्वे से दुनिया के सामने इतिहास का सच सामने आ जाएगा। ASI की टीम सोमवार सुबह ज्ञानवापी परिसर में वैज्ञानिक तरीके से सर्वे के लिए पहुंची। इसमें देश के कई शहरों के ASI के विशेषज्ञ शामिल हैं। ASI टीम में 43 सदस्य हैं।
सोमवार को टीम ने सर्वे शुरू ही किया था कि ज्ञानवापी परिसर के सर्वे को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने जिला जज के फैसले पर रोक लगा दी। सुप्रीम कोर्ट ने 26 जुलाई शाम 5 बजे तक सर्वे पर रोक लगा दी है। उधर, फैसला आने से पहले ASI टीम ने ज्ञानवापी मस्जिद में सर्वे किया।
नींव के आसपास के ईंट-पत्थर के टुकड़े सैंपल के तौर पर लिए गएं। सभी जगहों की फोटो ली गई है। पूरे परिसर की नापजोख की गई है। कुछ मशीनों से दीवारों को स्कैन किया गया है। साथ ही दीवारों पर कागज लगा कर उनका सैंपल लिया गया है।
मुस्लिम पक्ष का कोई सदस्य नहीं था मौजूद
इस दौरान हिंदू पक्ष की चार वादिनी महिला व उनके चार अधिवक्ता, जिला शासकीय अधिवक्ता, राज्य और केंद्र सरकार के अधिवक्ता, एडीएम सिटी और एक अपर पुलिस आयुक्त मौजूद थे। मुस्लिम पक्ष का कोई सदस्य नहीं पहुंचा था। 43 सदस्यीय एएसआई टीम ने शुरुआती दो घंटे में पूरे ज्ञानवापी परिसर की पैमाइश की।
वजूस्थल को छोड़कर परिसर के हर पत्थर और ईंट की ऊंचाई नापी गई
वजूस्थल को छोड़कर परिसर के हर पत्थर और ईंट की ऊंचाई नापी गई। दीवारों की फोटो और वीडियोग्राफी कराई गई। डीसीपी रामसेवक गौत ने बताया कि मैदागिन-गोदौलिया मार्ग पर किसी भी प्रकार के दो पहिया और चार पहिया वाहनों पर पूर्ण प्रतिबंध था।
सर्वे करने वाली टीम ने काशी विश्वनाथ धाम के गेट नंबर चार से प्रवेश किया था। ज्ञानवापी में सर्वे के लिए पहुंची एएसआई की टीम के पास आधुनिक मशीनें थीं।