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लोकसभा चुनाव में धामी सरकार में महिला सशक्तिकरण का मुद्दा रहेगा मुख्य

उत्तराखंड की महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की सरकार लगातार काम कर रही है। उत्तराखंड के गठन से लेकर अब तक प्रदेश की महिलाओं का रोल राज्य के विकास के लिए विश्वसनीय रहा है।

By Rakesh 

Updated Date

देहरादून। उत्तराखंड की महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की सरकार लगातार काम कर रही है। उत्तराखंड के गठन से लेकर अब तक प्रदेश की महिलाओं का रोल राज्य के विकास के लिए विश्वसनीय रहा है। वहीं राज्य की बीजेपी सरकार महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए अलग-अलग योजनाएं चला रही है। जिससे  प्रदेश की महिलाएं अपना सर गर्व से उठा सकें।

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उत्तराखंड में महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने क्या वाकाई में  कमर कस ली है। बीजेपी तो ये ही दावा कर रही है।.दावा ये कि धामी सरकार महिलाओं के लिए लाभकारी योजनाएं ला रही है। मुख्यमंत्री धामी के विजन से सशक्त उत्तराखंड 25 में महिलाओं की मुख्य भूमिका रहने वाली है.. ऐसे में प्रदेश की महिलाओं के छोटे उद्योगों को व्यापार की मुख्य धारा से जोड़कर उन्हें स्वतंत्र और सशक्त बनाने की प्रयास हो रही है। मुख्यमंत्री खुद अपनी कैबिनेट से सवाल करते हैं कि आखिर महिलाएं आधुनिक जमाने में पीछे क्यों हटें।

सीएम धामी ने अब तक के अपने कार्यकाल में उत्तराखंड मुख्यमंत्री नारी सशक्तिकरण योजना, मुख्यमंत्री एकल महिला स्वरोजगार योजना, उत्तराखंड महिला समग्र विकास योजना, सरकारी नौकरियों में 30% आरक्षण और रक्षाबंधन के मौके पर मुख्यमंत्री सशक्त बहन उत्सव योजना के साथ साथ कई योजनाओं के जरिए महिलाओं को पंख देकर उनको साधने की कोशिश की है। दरअसल उत्तराखंड की कुल अनुमानित अबादी 2023 में 1 करोड़ा 17 लाख 99 है। जिसमें महिलाओं की संख्या 57 लाख 39 हजार 784 है।

ऐसे में बीजेपी बाखुबी जानती है कि उत्तराखंड राज्य में मात्र शक्ति की ताकत के बिना सत्ता मिलना नमुनकिन है.. वैसे भी उत्तराखंड में कहा जाता है कि आघी आबादी जिसके साथ.. सत्ता उसके पास । ऐसे में महिलाओं सश्क्तिकरण की बात कर सीएम धामी आधी आबादी को साधने का क्या प्रयास भी कर रहे हैं ताकि 24 चुनाव में कोई दिक्कत न हो  सीएम धामी की कोशिश तो अच्छी है। लेकिन राजनीतिक नजरिए से देखें। तो पिछले साल उत्तराखंड में विधानसभा की 70 सीटों पर कुल 632 प्रत्याशियों ने चुनावी रण में ताल ठोकी।

इनमें 63 यानी 10 प्रतिशत महिला चुनावी मैदान में उतरीं। बात भाजपा-कांग्रेस के सिंबल पर लड़ी महिला प्रत्याशियों की करें।तो दोनों दलों ने 2022 के चुनाव में 13 महिलाओं को चुनाव मैदान में उतारा।जिसमें भाजपा ने आठ और कांग्रेस ने पांच महिलाओं को टिकट दिया। वहीं सरकार की तरफ से चलाई जा रही योजनाओं को लेकर बीजेपी अब महिलाओं से चुनाव में वोट मानने जा रही है। तो वहीं दूसरी तरफ विपक्षी पार्टियां सरकार के महिला सशक्तिकरण की नीतियों पर ही सवाल उठा रही है।

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मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के महिलाओं को सशक्त करने के विजन से प्रदेश की महिलाओं को पंख लगने शुरू हो गए हैं । लोक सभा चुनाव में भी अहम मुद्दा महिला सशक्तिकरण रहने वाला है।जिसके लिए दोनों पार्टियों ने अपनी वाद – विवाद की तैयारीया पूरी कर है। लेकिन अब देखने वाली बात ये होगी कि क्या मुख्यमंत्री महिलाओं के उत्थान का जिक्र कर उसे राजनीतिक हिस्सेदारी दिला पाते हैं।ये बड़ा सवाल है

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