Booking.com

राज्य

  1. हिन्दी समाचार
  2. राजस्थान
  3. बाड़मेर-जैसलमेर लोकसभा सीट पर छिड़ा त्रिकोणीय मुकाबला, क्या इस सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार लहराएगा परचम

बाड़मेर-जैसलमेर लोकसभा सीट पर छिड़ा त्रिकोणीय मुकाबला, क्या इस सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार लहराएगा परचम

राजस्थान में बाड़मेर-जैसलमेर की रेतीली धरती यूं तो गर्म है पर राजनीति का पारा चढ़ने से यह और ज्यादा तप रही है. यहां शुरुआत में भाजपा-कांग्रेस के बीच ही संघर्ष दिख रहा था, लेकिन बाद में इस परिदृश्य में एक निर्दलीय उम्मीदवार की भी एंट्री हो गई जिसने दोनों दलों की चिंता बढ़ा दी. जानते है बाड़मेर-जैसलमेर लोकसभा सीट की सियासी गणित.

By Rajasthan Bureau@indiavoice.co.in 

Updated Date

बाड़मेर-जैसलमेर लोकसभा सीट

पढ़ें :- हनुमानगढ़ : बाल सुधार गृह से चार बच्चे हुए फरार, गार्ड की आंखों में मिर्ची डालकर हुए फरार

लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण में राजस्थान की जिन 13 सीटों पर 26 अप्रैल को मतदान हुआ, उनमें से बाड़मेर-जैसलमेर सीट पर सबकी नजरें हैं. पाकिस्तान से सटे इस क्षेत्र में निर्दलीय प्रत्याशी रविंद्र सिंह भाटी का भाजपा उम्मीदवार केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री कैलाश चौधरी और कांग्रेस के प्रत्याशी उम्मेदाराम से मुकाबला है. चुनाव की घोषणा होने तक यहां कांग्रेस-भाजपा में आमने-सामने का मुकाबला दिख रहा था, लेकिन भाटी ने चुनाव को त्रिकोणीय और दिलचस्प बना दिया है.

करीब चार महीने पहले निर्दलीय जीतकर विधानसभा पहुंचने वाले भाटी की रैलियों में उमड़ रही भीड़ ने भाजपा और कांग्रेस पार्टी की परेशानी बढ़ा रखी है. छात्र राजनीति से भाटी अब संसदीय राजनीति में आने की कोशिश में जुटे हैं. उनकी रैलियों में जिस तरह से भाजपा के परंपरागत मतदाता राजपूत और कांग्रेस के परंपरागत वोटबैंक माने जाने वाले मुस्लिम शामिल हुए हैं, उससे दोनों दलों को वोटबैंक खिसकने का डर सता रहा है. अपने – अपने वोटबैंक को साधने के लिए भाजपा और कांग्रेस ने प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों से जातिगत आधार पर नेताओं को बाड़मेर-जैसलमेर क्षेत्र में जिम्मा सौंपा है.

भाजपा प्रत्याशी कैलाश चौधरी और पार्टी के नेता अपने भाषणों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम पर वोट मांगते दिखाई दिए. तो वहीं भाटी खुद भी अपने भाषणों में प्रधानमंत्री मोदी की प्रशंसा करते दिखे. जाट समाज के वोटरों का कांग्रेस और भाजपा में बंटने और मुस्लिम व राजपूत समाज के बढ़ते रुझान ने भाटी का मनोबल बढ़ाया है. वहीं कैलाश चौधरी के केंद्र में मंत्री रहते हुए विकास कार्यों में कमी के कारण भाजपा कार्यकर्ताओं में खासी नाराजगी है.

उम्मेदाराम टिकट मिलने से दो दिन पहले रालोपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए हैं. इस कारण कांग्रेसियों में भी नाराजगी देखने को मिली है. दोनों दलों के नाराज नेता व कार्यकर्ता भाटी के साथ खड़े दिखाई दिए. इस सीट पर 62 साल से कोई निर्दलीय प्रत्याशी नहीं जीता है. भाजपा और कांग्रेस दोनों ने जाट प्रत्याशी को टिकट दिया तो राजपूत समाज से भाटी निर्दलीय चुनाव लड़ने उतर गए. भाजपा और कांग्रेस में जाट वोटों का बंटवारा होने से चुनाव में मूल ओबीसी, अल्पसंख्यक, एससी-एसटी वोटर हार जीत तय करेंगे.

पढ़ें :- राजस्थान: जल्द जारी होगा RBSE 5वीं, 8वीं का रिजल्ट

बाड़मेर-जैसलमेर लोकसभा सीट पर जाट मतदाताओं को साधने के लिए बीजेपी और कांग्रेस दोनो ने जाट उम्मीदवार को चुनावी मैदान में उतारा है लेकिन निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर राजपुत समुदाय के रविन्द्र सिंह भाटी ने ताल ठोककर ना केवल चुनावी समीकरण बदले है बल्कि त्रिकोणीय चुनावी मुकाबले को रोचक भी बना दिया है.

अब जीत का सेहरा किसके सिर बंधेगा ये तो आगामी 4 जून को ही पता चल पाएगा. लेकिन त्रिकोणीय मुकाबले के चलते ये सीट ना सिर्फ राजस्थान बल्कि देशभर में चर्चा का विषय बन गई है.

इन टॉपिक्स पर और पढ़ें:
Hindi News से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें Facebook, YouTube और Twitter पर फॉलो करे...
Booking.com
Booking.com
Booking.com
Booking.com