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Jharkhand : पहले मेंटेनेबिलिटी फिर केस की मेरिट पर होगी सुनवाई : हाई कोर्ट

Hemant Soren Mining Lease Case: मुख्यमंत्री से जुड़े खनन लीज और शेल कंपनी मामले की अगली सुनवाई एक जून को।

By इंडिया वॉइस 

Updated Date

रांची, 24 मई। Jharkhand HighCourt Decision : झारखंड हाई कोर्ट में मंगलवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से जुड़े शेल कंपनी और खनन लीज मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस डॉ रविरंजन और जस्टिस सुजित नारायण प्रसाद की बेंच में हुई। जस्टिस ने कहा कि पहले हम मेंटेनेबिलिटी पर करेंगे। इसके बाद केस की मेरिट पर सुनवाई होगी। सरकार की ओर से उपस्थित वरीय अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने अगली सुनवाई के लिए कोर्ट से समय देने का आग्रह किया। इसके बाद कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई के लिए एक जून की तिथि निर्धारित कर दी।

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उल्लेखनीय है कि इसी मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में भी सुनवाई हुई है। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट को याचिका की विश्वसनीयता तय करने के लिए कहा है।

राज्य सरकार की ओर से वरीय अधिवक्ता कपिल सिब्बल, महाधिवक्ता राजीव रंजन और अधिवक्ता पीयूष चित्रेश ने कोर्ट के समक्ष बहस की। ईडी की ओर से वरीय अधिवक्ता तुषार मेहता और सीबीआई की ओर से एएसजीआई प्रशांत पल्लव एवं अधिवक्ता पार्थ जालान ने हाई कोर्ट में पक्ष रखा। मुख्यमंत्री की ओर से वरीय अधिवक्ता मुकुल रोहतगी और हाई कोर्ट के अधिवक्ता अमृतांश वत्स कोर्ट के समक्ष उपस्थित हुए।

उल्लेखनीय है कि माइनिंग लीज से जुड़े मामले में झारखंड हाई कोर्ट में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खिलाफ 11 फरवरी को जनहित याचिका दायर की गयी थी। प्रार्थी शिव शंकर शर्मा की ओर से दायर जनहित याचिका में कहा गया है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के जिम्मे खनन और वन पर्यावरण विभाग भी हैं। उन्होंने स्वयं पर्यावरण क्लीयरेंस के लिए आवेदन दिया और खनन पट्टा हासिल किया। ऐसा करना पद का दुरुपयोग और जनप्रतिनिधि अधिनियम का उल्लंघन है। इसलिए इस पूरे मामले की सीबीआई से जांच कराई जाए। प्रार्थी ने याचिका के माध्यम से हेमंत सोरेन की सदस्यता रद्द करने की मांग भी की है।

शेल कंपनी से जुड़ा है मामला

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एक अन्य याचिका भी याचिकाकर्ता शिव शंकर शर्मा ने अधिवक्ता राजीव कुमार के माध्यम से जनहित याचिका दायर की थी। अधिवक्ता राजीव कुमार ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनके भाई बसंत सोरेन के पैसे को ठिकाने लगाने के लिए राजधानी रांची के चर्चित बिजनेसमैन को दिये जाते हैं। यह पैसा 24 कंपनियों के माध्यम से दिया जा रहा है और इन कंपनियों के माध्यम से ब्लैक मनी को व्हाइट मनी बनाया जा रहा है। इसलिए याचिका के माध्यम से अदालत से जांच की मांग की गई है। सीबीआई, ईडी और इनकम टैक्स से पूरी संपत्ति की जांच की मांग की गई है। इस मामले में झारखंड सरकार के मुख्य सचिव, सीबीआई, ईडी, हेमंत सोरेन, बसंत सोरेन एवं अन्य को प्रतिवादी बनाया गया है।

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