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जानें एक ऐसे राजा के बारे में जिसने अंग्रेजों की नाक में दम करके रख दिया था, आजादी के संघर्ष में उनका अहम योगदान रहा

आज के इतिहास में जानें ऐसे राजा के बारे में जिसने अपनी वीरता, रणकौशल और वतनपरस्ती ने अंग्रेजों को हिलाकर रख दिया था।

By इंडिया वॉइस 

Updated Date

फांसी के समय भी देश के लिए लड़ने का आह्वानः आजादी का अमृत महोत्सव राष्ट्रीय स्वाधीनता के लिए बलिदान होने वाले रणबांकुरों को याद करने का भी मौका है। सच ये है कि ऐसे शहीदों को इतिहास ने उनकी गरिमा के अनुरूप याद नहीं किया। ऐसे ही एक मातृभूमि-भक्त थे राजा नाहर सिंह। उन्हें आज ही की तारीख (9 जनवरी) को फांसी दी गई थी। बल्लभगढ़ (वर्तमान हरियाणा में) रियासत के राजा नाहर सिंह की वीरता, रणकौशल और वतनपरस्ती ने अंग्रेजों को हिलाकर रख दिया था।

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सन 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के महान क्रांतिकारी राजा नाहर सिंह का जन्म 6 अप्रैल, 1821 को हुआ था। केवल 18 साल की उम्र में पिता के निधन के बाद युवा नाहर सिंह ने 1839 में रियासत की बागडोर संभाली। अंग्रेजों को किसी भी प्रकार का टैक्स न देने और बल्लगढ़ रियासत में अंग्रेजों के घुसने नहीं देने के उनके फैसले से अंग्रेज तिलमिला उठे। पश्चिमी तर्ज पर सुसज्जित राजा नाहर सिंह के घुड़सवार दिल्ली तक गश्त करने लगे थे। ऐसे में कई बार टकराव हुआ। बिग्रेडियर शावर्स हर बार हारा और कलेक्टर विलियम भाग खड़ा हुआ। फिर जब 1857 में मेरठ और अंबाला से आजादी के लिए संघर्ष का बिगुल बजा, तो नाहर सिंह भी उसमें कूद पड़े थे।

इतिहास गवाह है कि तब दिल्ली पर क्रांतिकारियों का कब्जा था और नाहर सिंह बहादुरशाह जफर के सलाहकार बने। अंग्रेजों ने दिल्ली के साथ बल्लभगढ़ पर भी हमला बोल दिया। नाहर सिंह दिल्ली में अंग्रेजों से लड़ रहे थे। सूचना पाकर वे बल्लभगढ़ लौटे। इसी बीच बहादुर शाह जफर बंदी बना लिए गये। नाहर सिंह ने हार नहीं मानी और आगरा- मथुरा से आई अंग्रेजी सेना से मोर्चा लिया। युद्ध के दौरान धोखेबाज अंग्रेजों ने संधि का सफेद ध्वज लहराया। नाहर सिंह को बताया गया कि बहादुर शाह जफर से अंग्रेजी सेना संधि कर रही है। बातचीत में बादशाह अपने भरोसेमंद नाहर सिंह को भी शामिल करना चाहते हैं। फिर दिल्ली के रास्ते में नाहर सिंह को बंदी बना लिया गया। लोगों में डर पैदा करने के लिए 09 जनवरी,1857 को नाहर सिंह को उनके 3 साथियों खुशहाल सिंह, गुलाब सिंह और भूरे सिंह के साथ फांसी दी गई। उसके पहले मेजर हड़सन ने माफी मांगने को कहा तो नाहर सिंह का जवाब था कि विदेशी सत्ता से कुछ मांगकर मैं अपने देशवासियों को लज्जित नहीं करना चाहता। राजा की देशभक्ति देखिए कि माफी मांगने की जगह उन्होंने वहां मौजूद देशवासियों के जरिए लोगों का मातृभूमि के लिए लड़ते रहने का आह्वान किया।

अन्य महत्वपूर्ण घटनाएंः

1768: फिलिप एस्टले के पहले ‘मॉडर्न सर्कस’ का प्रदर्शन।
1793: गर्म हवा के पहले गुब्बारे की अमेरिका के फिलाडेल्फिया में उड़ान।
1811: महिलाओं का पहला गोल्फ टूर्नामेंट आयोजित हुआ।
1915: महात्मा गांधी का दक्षिण अफ्रीका से लौटने के बाद मुंबई आगमन।
1922: नोबेल पुरस्कार से सम्मानित डॉ. हरगोविंद खुराना का जन्म।
1927: पर्यावरणविद् सुन्दरलाल बहुगुणा का जन्म।
1941: रोमानिया की राजधानी बुखारेस्ट में छह हजार यहुदियों की हत्या।
1945: स्वाधीनता सेनानी तथा किसान नेता छोटूराम का निधन।
1982: पहला भारतीय वैज्ञानिक दल अंटार्कटिका पहुंचा।
2002: माइकल जैक्सन को आर्टिस्ट ऑफ द सेंचुरी का अवार्ड।

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