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उत्तराखंडः मसूरी अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव का शुभारंभ, पहले दिन गंगा नदी पर बनी डॉक्यूमेंट्री का प्रदर्शन

मसूरी अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव के उद्घाटन समारोह में रविवार को गंगा कथा नामक चार भाग की डॉक्यूमेंट्री फिल्म दिखाई गई। यह फिल्म मनोविज्ञान और लेखक डा. लोकेश ओहरी द्वारा बनाई गई है, जिन्होंने नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा और इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज इंटेक के लिए ये फिल्में बनाई हैं।

By Rakesh 

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मसूरी। मसूरी अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव के उद्घाटन समारोह में रविवार को गंगा कथा नामक चार भाग की डॉक्यूमेंट्री फिल्म दिखाई गई। यह फिल्म मनोविज्ञान और लेखक डा. लोकेश ओहरी द्वारा बनाई गई है, जिन्होंने नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा और इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज इंटेक के लिए ये फिल्में बनाई हैं।

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फिल्मों में गंगा नदी की सांस्कृतिक और अमूर्त विरासत, इसकी निर्मित विरासत और इस पवित्र नदी के आसपास रहने वाले समुदायों के पहलुओं का रोचक विवरण पेश किया गया है। स्क्रीनिंग द फर्न, ब्रेंटवुड में हुई। जहां फिल्म निर्माता ओहरी ने दर्शकों से भी बातचीत की। उन्होंने उनसे गंगा नदी पर उनके शोध के बारे में सवाल पूछे।

स्क्रीनिंग में लगभग 70 लोग शामिल हुए। दिन की शुरुआत डा. लोकेश और उनकी टीम द्वारा मसूरी के गिरजाघरों पर आयोजित हेरिटेज वॉक से हुई। जिसमें लगभग 80 लोगों ने भाग लिया। इसके तहत पूरा समूह तीन गिरजाघरों यूनियन चर्च, सेंट्रल मेथोडिस्ट चर्च और क्राइस्ट चर्च में गया, जहां उन्हें उनके इतिहास से रूबरू कराया गया।

मसूरी फिल्म फेस्टिवल के बारे में जानकारी देते हुए फिल्म फेस्टिवल के निदेशक और आयोजक गोपाला कृष्णा ने बताया कि मसूरी इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल आयोजित करने का उद्देश्य है कि उत्तराखंड और गढ़वाल क्षेत्र में किस तरह सिनेमा को प्रोत्साहित और बढ़ावा दिया जाए, उसके लिए एक प्लेटफार्म की जरूरत महसूस हो रही थी, जिसके माध्यम से यह आयोजन किया गया।

उन्होंने बताया कि यहां पर फिल्म निर्माण की अपार संभावनाए हैं, लेकिन यहां पर ऐसा कोई प्लेटफार्म नहीं है जो मुंबई, हैदराबाद आदि में है। इसको ध्यान में रखकर यह आयोजन किया गया ताकि उत्तराखंड में फिल्म निर्माण करने वालों को प्रोत्साहन और अवसर मिल सके।

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इस मौके पर गंगा कथा के निर्माता लोकेश ओहरि ने बताया कि यह फिल्म चार भाग में है जो नेशनल मिशन नमामि गंगे के तहत बनाई गई है। जिसको चार भागों में बनाया गया है। जिसमें गंगा के महत्व को बताया गया है। उन्होंने कहा कि लोगों को यहां आकर देखना व सीखना चाहिए। कहा कि फिल्म मेकरों को यहां की सुंदरता को देखते हुए फिल्म निर्माण करना चाहिए।

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