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प्राकृतिक आपदाः भूकंप से दहल उठा नेपाल, 150 की मौत, सैकड़ों इमारतें जमींदोज  

नेपाल में 3 नवंबर की देर रात 11 बजकर 47 मिनट पर आए भूकंप ने भीषण तबाही मचाई है। करीब 150 लोगों की मौत हो गई और सैकड़ों इमारतें जमींदोज हो गईं। भूकंप से जान-माल का काफी नुकसान हुआ है। तबाही के बाद नेपाल सरकार ने तुरंत राहत व बचाव कार्य शुरू कर दिया है। घायलों को निजी व सरकारी अस्पतालों में भर्ती कराया गया है।

By Rakesh 

Updated Date

Written By Sanjay Kumar Srivastava

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काठमांडू। नेपाल में 3 नवंबर की देर रात 11 बजकर 47 मिनट पर आए भूकंप ने भीषण तबाही मचाई है। करीब 150 लोगों की मौत हो गई और सैकड़ों इमारतें जमींदोज हो गईं। भूकंप से जान-माल का काफी नुकसान हुआ है। तबाही के बाद नेपाल सरकार ने तुरंत राहत व बचाव कार्य शुरू कर दिया है। घायलों को निजी व सरकारी अस्पतालों में भर्ती कराया गया है।

प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ ने घायलों की हर संभव मदद का दिया निर्देश

नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ ने घायलों को हर संभव मदद की घोषणा की है। उन्होंने निर्देश दिया है कि घायलों को अस्पतालों में बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जाए। राष्ट्रीय भूकंप निगरानी एवं अनुसंधान केंद्र के अनुसार, भूकंप शुक्रवार देर रात 11 बजकर 47 मिनट पर आया। जिसका केंद्र जाजरकोट जिले में था। भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 6.4 थी।

भूकंप से सबसे अधिक प्रभावित हुए पश्चिमी नेपाल के जाजरकोट और रुकुम जिले 

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भूकंप के झटके काठमांडू, इसके आसपास के जिलों और यहां तक कि पड़ोसी देश भारत की राजधानी नई दिल्ली तक महसूस किए गए। सरकारी ‘नेपाल टेलीविजन’ के अनुसार, पश्चिमी नेपाल के जाजरकोट और रुकुम जिले भूकंप के कारण सबसे अधिक प्रभावित हुए। दोनों जिलों में 150 लोगों की मौत हो गई और 140 अन्य लोग घायल हो गए। भूकंप के कारण सैकड़ों मकान क्षतिग्रस्त हुए। मृतकों की संख्या बढ़ने की आशंका है।

नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्पकमल दहल ‘प्रचंड’ शनिवार सुबह चिकित्सकीय दल के साथ घटनास्थल पर पहुंचे। उन्होंने बताया कि नेपाल सेना और नेपाल पुलिस को बचाव कार्य में लगाया गया है। प्रधानमंत्री पुष्पकमल दहल ने भूकंप में जान-माल के नुकसान पर गहरा शोक प्रकट किया है।

अधिकारियों ने बताया कि घायलों का सुरखेत जिला अस्पताल में इलाज जारी है। जाजरकोट में भूकंप के चार झटके और आएं। मालूम हो कि नेपाल उस पर्वत माला पर स्थित है जहां तिब्बती और भारतीय टेक्टोनिक प्लेटें मिलती हैं। ये हर सदी तकरीबन दो मीटर एक-दूसरे के पास खिसकती हैं, जिसके परिणामस्वरूप दबाव उत्पन्न होता है और भूकंप आते हैं। नेपाल में 2015 में आए 7.8 तीव्रता के भूकंप के कारण लगभग 9,000 लोगों की मौत हो गई थी। भूकंप के झटके उत्तर भारत समेत DELHI-NCR में भी महसूस किए गए।

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