झारखंड के सियासी गलीयारो में जुबानी तीर चल रहे हैं। जेएमएम बीजेपी के दिग्गज और प्रदेश अध्यक्ष बाबू लाल की संकल्प यात्रा और आजसू दोनें पर तंज कसे जा रहे हैं।
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रांची। झारखंड के सियासी गलीयारो में जुबानी तीर चल रहे हैं। जेएमएम बीजेपी के दिग्गज और प्रदेश अध्यक्ष बाबू लाल की संकल्प यात्रा और आजसू दोनें पर तंज कसे जा रहे हैं।
वजह है 2024 के चुनाव से पहले 5 सितंबर को झारखण्ड में होने वाला डुमरी उपचुनाव जो इन दिनों काफी सुर्खियों में है क्योंकि जेएमएम और बीजेपी गठबंधन यानि आजसू के लिए महत्वपूर्ण बन चुका है।
कहने के लिए तो राज्य के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो के 6 अप्रैल को निधन से खाली हुई सीट पर इस विधान सभा के लिए यह उपचुनाव मात्र है लेकिन यह मामूली चुनाव नहीं है। क्योंकि देश में हो रहे 7 उपचुनावों में से यह झारखण्ड में इंडिया और एनडीए के बीच पहला चुनावी मुकाबला होने जा रहा है जो प्रदेश में सत्तादल और विपक्ष के बीच आम चुनाव के पूर्व प्री टेस्ट जैसा है।
जिसमें इंडिया के घटक दल झारखण्ड मुक्ति मोर्चा यानि हेमंत सोरेन की पार्टी जो प्रदेश की सबसे बड़ी पार्टी ही नहीं, बल्कि इसी पार्टी के हाथ में सत्ता की चाभी भी है, की यह अपनी परंपरागत सीट है। ऐसे में हेंमत सोरेन सरकार ने भी पूरी ताकत झोंक रखी है इसलिए डुमरी उपचुनाव को नये गठबंधन इंडिया और एनडीए के लिए लोक सभा चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है, जिससे जेएमएम की प्रतिष्ठा दांव पर है तभी जुबानी तीर चल रहे हैं।
इसलिए जेएमएम बाबू लाल मरांडी की संकल्प यात्रा और आजसू के सबसे बड़े चहरे सुदेश महतो पर निशाने साध रही है आपको बता दे कि पूर्व मंत्री और स्व जगरनाथ महतो की पत्नी मंत्री बेबी देवी चुनावी रण में हैं ।
डुमरी सीट झामुमो की परंपरागत सीट मानी जाती है।जगरनाथ महतो चार बार डुमरी सीट जीत कर विधायक से शिक्षा मंत्री बनने का गौरव मिला। मगर अब इस सीट पर आजसू की यशोदा देवी को उनके सामने चुनावी दंगल में उतार दिया है यानि एक तरफ बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बाबू लाल मरांडी ने हेमंत सरकार को उखाड़ फेंकने के संकल्प के साथ 40दिन का संकल्प यात्रा निकाल रहे हैं तो दूसरी तरफ जेएमएम इमोश्नल कार्ड चलकर डूमरी पर कब्जा करने की कवायद में है ।