सुप्रीम कोर्ट ने आज एक अहम फैसला सुनाते हुए कहा कि लिव इन रिलेशनशिप से जन्मा बच्चा अपने बाप की संपत्ति का हकदार होगा।
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नई दिल्ली, 22 जून 2022। बिना शादी (लिव इन रिलेशन) के साथ रहने वाले महिला पुरुष से जन्मी संतान के लिए सुप्रीम कोर्ट ने आज एक अहम फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा यदि महिला व पुरुष अधिक समय से एक साथ रह रहे हैं तो उनका रिश्ता शादी की तरह ही माना जाएगा। साथ ही इस रिश्ते में जन्मी संतान को पिता की प्रॉपटी पर हक दिया जाएगा।
इस फैसले से सुप्रीम कोर्ट ने केरल हाईकोर्ट के पूर्व के फैसले को पलट दिया है। केरल हाईकोर्ट ने एक युवक को उसके पिता की संपत्ति का हकदार इसलिए नहीं बताया था क्योंकि उसके माता पिता की शादी नहीं हुई थी। लेकिन आज सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसले को सुनाते हुए कहा कि मां-बाप की शादी न हुई हो लेकिन वो लंबे समय से शादी की तरह की एक साथ रह रहे हैं। ऐसे में यदि बच्चे के डीएनए टेस्ट से ये साबित हो जाए कि वो उन दोनों की ही संतान है तो उस संतान को पिता की संपत्ति में हक दिया जाएगा।
केरल हाईकोर्ट में आया था ऐसा ही मामला
केरल में संपत्ति के बंटवारे को लेकर एक ऐसा ही केस हाईकोर्ट पहुंचा था। इस केस में एक व्यक्ति ने अपने पिता की संपत्ति में हिस्सा न मिलने पर अपनी हिस्सेदारी का दावा किया था। केरल हाई कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए कहा जिस व्यक्ति की संपत्ति पर वह अपना हक जता रहे हैं उससे उनकी मां का विवाह नहीं हुआ था। अतः ऐसे में कोर्ट उन्हें परिवार की संपत्ति का हकदार नहीं मान सकता।
लिव इन रिलेशन को कब मिली कानूनी मान्यता
वर्ष 2010 में लिव इन रिलेशनशिप को कानूनी मान्यता दे दी गई थी। इसके साथ ही घरेलू हिंसा अधिनियम 2005 की धारा 2 में लिव इन रिलेशनशिप को जोड़ा गया था। इससे लिव इन में रहने वाले दोनों में से कोई भी घरेलू हिंसा में रिपोर्ट करने के काबिल है। लिव इन रिलेशन में महिला व पुरुष को पति पत्नी की तरह ही रहना होगा, लेकिन इसके लिए समय की कोई पाबंदी नहीं है।