Booking.com

राज्य

  1. हिन्दी समाचार
  2. उत्तर प्रदेश
  3. गाजियाबाद में प्रदूषण से अस्थमा अटैक, 42 मरीजों को हुई ऑक्सीजन की जरूरत

गाजियाबाद में प्रदूषण से अस्थमा अटैक, 42 मरीजों को हुई ऑक्सीजन की जरूरत

हवा में घुली धूल और धुएं का जहर सांस रोगियों की सांसें संकट में डाल रहा है। गुरुवार को दोनों जिला अस्पताल में 700 से ज्यादा मरीज ऐसे पहुंचे जिन्हें सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। 56 को अस्थमा का दौरा पड़ा था। इनमें से 42 को तत्काल ऑक्सीजन देनी पड़ी। हालत इतनी खराब हो चुकी है कि वाह्य रोगी विभाग (ओपीडी) में हर दूसरा मरीज सांस की तकलीफ लेकर ही आ रहा है।

By Rakesh 

Updated Date

गाजियाबाद। हवा में घुली धूल और धुएं का जहर सांस रोगियों की सांसें संकट में डाल रहा है। गुरुवार को दोनों जिला अस्पताल में 700 से ज्यादा मरीज ऐसे पहुंचे जिन्हें सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। 56 को अस्थमा का दौरा पड़ा था। इनमें से 42 को तत्काल ऑक्सीजन देनी पड़ी। हालत इतनी खराब हो चुकी है कि वाह्य रोगी विभाग (ओपीडी) में हर दूसरा मरीज सांस की तकलीफ लेकर ही आ रहा है।

पढ़ें :- जालसाज ने केजीएमयू की डॉक्टर से 85 लाख ठगे, कस्टम और सीबीआई अफसर बनकर धमकाया

कोई खांसते हुए आता है तो कोई छींकते हुए। गुरुवार को सरकारी और पांच बड़े निजी अस्पतालों में सांस के 752 मरीज इलाज कराने पहुंचे। एमएमजी अस्पताल की इमरजेंसी में 73 और संयुक्त अस्पताल में 32 मरीज पहुंचे। दोनों अस्पतालों की ओपीडी में 481, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र डासना, मोदीनगर, मुरादनगर, लोनी में 105 मरीज सांस लेने में परेशानी होने पर पहुंचे थे।

वहीं शहर के पांच निजी अस्पतालों में 81 मरीज आए। एमएमजी और संयुक्त अस्पताल के ओपीडी में हर दूसरा मरीज गले में खरास, सिर दर्द और बेचैनी से परेशान था। सरकारी अस्पताल में 30 फीसदी और प्राइवेट में 25 फीसदी मरीजों की वृद्धि दर्ज की गई। आईएमए के पूर्व अध्यक्ष छाती रोग विशेषज्ञ डॉ. आशीष अग्रवाल ने बताया कि अचानक वायु प्रदूषण बढ़ जाना पहले से बीमार लोगों के लिए ट्रिगर का काम कर रहा है।

सुबह आठ बजे ही चार ऐसे मरीज इमरजेंसी में आए, जिन्हें भर्ती करना पड़ा, इनमें से तीन का ऑक्सीजन स्तर 70 से 80 के बीच था। मौसम बदलाव होने पर लोगों की प्रतिरोधक क्षमता प्रभावित हो रही थी, लेकिन इस बार मरीजों का ऑक्सीजन स्तर में तेजी से गिरावट आ रही है। एमएमजी अस्पताल के फिजिशियन डॉ. आलोक रंजन ने बताया कि उनकी ओपीडी में 412 मरीज आए थे।

हर दूसरा मरीज गले में खरास और आंख में जलन से परेशान

पढ़ें :- मैनपुरी में बाल-बाल बचे छात्र, ट्रक ने स्कूल बस में मारी टक्कर

इनमें से हर दूसरा मरीज गले में खरास और आंख में जलन की परेशानी बता रहा था। उन्होंने बताया कि उन मरीजों को अधिक परेशानी हो रही है जो पहले से ही किसी रोग से ग्रसित हैं या एक सप्ताह पहले बुखार या सर्दी-जुकाम से बीमार हुए थे।गाजियाबाद केमिस्ट एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष राजेदव त्यागी ने बताया कि प्रदूषण बढ़ने पर पिछले तीन दिन में 20 फीसदी दवाइयों की ब्रिकी बढ़ गई है।

इस समय बाजार में अलग-अलग कंपनियों के इन्हेलर 150 रुपये से 500 रुपये तक बिक रहे हैं।वरिष्ठ नाक, कान व गला रोग विशेषज्ञ डॉ. बीपी त्यागी का कहना है कि संक्रामक रोगाणु से निपटने की प्रक्रिया शरीर का प्रतिरोधक तंत्र गले से शुरू होता है। यहां रोगाणु और प्रतिरोधी कोशिकाओं की आपसी लड़ाई से गले में खरास और सांस लेने की नली में बैचेनी और जलन हो रही है।

प्रदूषण के कण गले में रुकने से सूजन और सूखी खांसी आ रही है। इससे बचाव का बेहतर तरीका है कि गले को तर रखें और फ्रिज में रखी हुई किसी भी चीज का प्रयोग करने से बचे।आईएमए की अध्यक्ष डॉ. वाणीपुरी रावत का कहना है कि जिले के पांच बड़े अस्पतालों में बृहस्पतिवार को 17 मरीजों को भर्ती किया गया है, इनमें से 12 मरीजों को ऑक्सीजन देने की जरूरत पड़ी है। आईएमए की तरफ से जल्द ही कार्ययोजना और एडवाइजरी जारी की जाएगी।

इन टॉपिक्स पर और पढ़ें:
Hindi News से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें Facebook, YouTube और Twitter पर फॉलो करे...
Booking.com
Booking.com
Booking.com
Booking.com