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स्कूलों में पढ़ाए जाएंगे गीता, रामचरितमानस और रामायण का पाठ, CM शिवराज ने किया ऐलान

मुख्‍यमंत्री ने कहा कि 'हमारे रामायण, महाभारत, वेद, उपनिषद, श्रीमद्भगवद्गीता, यह अमूल्य ग्रंथ हैं. इन ग्रंथों में मनुष्य को नैतिक बनाने की,पूर्ण बनाने की और संपूर्ण बनाने की क्षमता है. मैं मुख्यमंत्री होने के नाते कह रहा हूं, कि हमारे धर्म ग्रंथों की शिक्षा हम शासकीय विद्यालयों में भी दें .

By इंडिया वॉइस 

Updated Date

भोपाल:मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एक फिर ऐलान किया है कि स्कूलों में गीता और रामायण के साथ हिंदू धर्म के तमाम पवित्र ग्रंथों की शिक्षा दी जाएगी. एमपी की राजधानी भोपाल में सोमवार को आयोजित एक कार्यक्रम में सीएम ने कहा कि,”हमारे रामायण, महाभारत, वेद, पुराण, उपनिषद अमूल्य ग्रंथ हैं. इन ग्रंथों में मनुष्य को नैतिक व संपूर्ण बनाने की क्षमता है. इन पवित्र ग्रंथों की शिक्षा देकर हम अपने बच्चों को पूर्ण और नैतिक बनाएंगे.

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बच्चों को देंगे पवित्र ग्रंथों की शिक्षा
सीएम शिवराज ने कहा कि ‘हमारे रामायण हो, महाभारत हो, वेद हों, उपनिषद हों, श्रीमद्भगवद्गीता हो यह अमूल्य ग्रंथ हैं हमारे और इन ग्रंथों में मनुष्य को नैतिक बनाने की मनुष्य को पूर्ण बनाने, संपूर्ण बनाने की क्षमता है। इसलिए हमारे धर्म ग्रंथों की शिक्षा भी, मैं मुख्यमंत्री होने के नाते भी कह रहा हूं। हम तो शासकीय विद्यालयों में भी देंगे। गीता जी का सार पढ़ाएंगे, रामायण जी , रामचरितमानस जी पढ़ाएंगे, महाभारत के प्रसंग पढ़ाएंगे। क्यों नहीं पढ़ाना चाहिए भगवान राम को।’

बता दें कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने यह ऐलान राजधानी भोपाल में विद्या भारती संस्था द्वारा आयोजित ‘सुघोष दर्शन’ कार्यक्रम में कही. जहां उन्होंने स्कूली बच्चों को भी संबोधित किया. सीएम ने कहा कि ‘विद्या भारती नैतिक शिक्षा देती है. कुछ लोग देश में ऐसे भी हैं जिन्हें हमारी संस्कृति, अध्यात्म, धर्म और महापुरुषों की आलोचना करने में ही आनंद आता है.वहीं सीएम ने चेतावनी दी कि जो महापुरुषों को अपमान करते हैं, उनको सहन नहीं किया जाएगा.

यूपी के नेता ने दिया विवादित बयान

गौरतलब है कि यूपी में समाजवादी पार्टी के MLC स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरित मानस (Ramcharitmanas) को लेकर विवादित बयान दिया था. जिसके बाद देश भर में बयानों का दौर शुरु हो गया. मौर्य ने रविवार को कहा था कि- कई करोड़ लोग रामचरित मानस को नहीं पढ़ते. यह तुलसीदास (Tulsidas) ने अपनी खुशी के लिए लिखा है. सरकार को रामचरित मानस के आपत्तिजनक अंश हटाना चाहिए या इस पूरी पुस्तक को ही बैन कर देना चाहिए. अब शिवराज सिंह ने ये घोषणा करके कहीं न कहीं उन्हें करारा जवाब दिया है.

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