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उत्तराखंड में अब निजी स्कूल नहीं ले सकेंगे मनमानी फीस, धामी सरकार ने लागू किया यह नया नियम

प्रदेश की धामी सरकार ने शिक्षा को लेकर 2017 विधान सभा चुनाव में किये अपने वायदे को पूरा कर दिया है। अब प्रदेश के निजी स्कूल मनमाने ढंग से फीस नहीं वसूल पाएंगे। पढ़ें क्या है पूरा मामला ?

By इंडिया वॉइस 

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Fees Regulation Act : प्रदेश की धामी सरकार ने प्राइवेट स्कूलों में मनमाने ढंग से पैसा वसूलने की लेकर नकेल कसना शुरू कर दिया है। बता दें कि उत्तराखंड की धामी सरकार ने प्रदेश में विद्यालय मानक प्राधिकरण यानी (SSSA) का गठन कर दिया है। प्राधिकरण के रूप में कार्य करने के लिए एससीईआरटी यानी (राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद) को अधिकृत किया है।

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शिक्षा महानिदेशक के अधीन चलेगा प्राधिकरण

जानकारी के मुताबिक यह प्राधिकरण शिक्षा महानिदेशक के अधीन चलेगा। यह शिक्षा में सुधार के लिए नीतियां बनाने का कार्य करेगा साथ ही जो प्राइवेट स्कूल मनमानी ढंग से फीस के नाम पर ज्यादा पैसा वसूल करते हैं उन पर भी नकेल कसेगा। इसके अलावा फीस के नियंत्रण को लेकर मानक तय करने का भी काम करेगा।

प्राधिकरण के अधिकार क्षेत्र में आएंगे 5 हजार निजी विद्यालय 

जानकारी के मुताबिक शिक्षा के क्षेत्र में बदलाव के लिए लाए गए इस प्राधिकरण के अधिकार क्षेत्र में सरकारी स्कूलों के अलावा 5 हजार निजी स्कूल भी रहेंगे। बता दें कि इन विद्यालयों में 3400 से ज्यादा स्कूलों में आरटीआई (RTI) कोटे के तहत 90 हजार से ज्यादा छात्र पढ़ाई कर रहे हैं। वहीं जानकारी के मुताबिक जहां एक तरफ इन स्कूलों में छात्रों की संख्या 3400 से ज्यादा है वहीं दूसरी तरफ शिक्षक और कर्मचारियों की संख्या 25 हजार से अधिक है।

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2017 के विधानसभा चुनाव में किये वादे को निभाया 

प्रदेश की भाजपा सरकार ने 2017 के विधानसभा चुनाव में अपने मैन्यूफेस्टो में वायदा किया था कि प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के बाद हम निजी स्कूलों में फीस और एडमिशन को नियंत्रित करने के लिए फीस ऐक्ट को लागू करेंगे। ऐसे में अपने वायदे को पूरा करने की ओर कदम बढ़ाते हुए प्रदेश की धामी सरकार ने कार्यकाल खत्म होने से पहले यह बड़ा फैसला किया है।

हालांकि फीस ऐक्ट को लेकर पहले की सरकार में भी काम शुरू हो चुका था, लेकिन तब की सरकार ने इस फैसले को लागू करने की हिम्मत नहीं जुटा सकी थी। फिलहाल अब जब पिछले वर्ष देश में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू कर दिया गया तो प्रदेश सरकार के भी हाथ खुल गए और उसने यह फैसला ले लिया।

प्राधिकरण के अधिकार क्षेत्र में होंगे यह काम 

प्राधिकरण का कार्य होगा शिक्षा में सुधार, सरकारी विद्यालयों में शैक्षिक स्तरों में सुधार करने के लिए नीति निर्माण का कार्य साथ ही स्कूलों के विलय और विस्तार आदि पर सरकार को सुझाव देने का कार्य शामिल होगा।

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फीस एडमिशन नियंत्रण शिक्षा के स्तर में बदलाव के अलावा स्कूलों के मनमाने ढंग से फीस लेने और प्राइवेट स्कूलों में एडमिशन के लिए मानक तय करने का कार्य किया जायेगा।

इसके अलावा प्राधिकरण से जुड़े अफसरों को सरकारी और निजी विद्यालयों में नियमित निरीक्षण करने का भी अधिकार होगा। साथ ही नियम का उलंघन करते हुए पकड़े जाने पर त्वरित कार्रवाई का भी अधिकार होगा।

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