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INDIA VOICE KI SPECIAL REPORT ः जानिए आजादी के जश्न का इतिहास, बिस्मिल्लाह खां के शहनाई धुन से हुई थी आजादी की पहली सुबह की शुरुआत

15 अगस्त भारत के लिए कोई आम दिन नहीं है। ये भारत के सम्मान का दिन है। भारत के अभिमान का है। भारत के गौरव  का दिन हैं। सर्घषों से निकलकर, बेड़ियों को तोड़ते हुए स्वंतत्र होने का दिन है।

By Rakesh 

Updated Date

नई दिल्ली।  15 अगस्त भारत के लिए कोई आम दिन नहीं है। ये भारत के सम्मान का दिन है। भारत के अभिमान का है। भारत के गौरव  का दिन हैं। सर्घषों से निकलकर, बेड़ियों को तोड़ते हुए स्वंतत्र होने का दिन है।

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भारत के सम्मान, स्वाभिमान और गौरव का दिन है 15 अगस्त 

आजाद होने का दिन, फक्र का दिन, अभिमान का दिन, सफलताओं का दिन,15 अगस्त के दिन बेड़ियों को तोड़कर गुलामी से निकलकर भारतवासियों ने खुली फिजाओं में सांस ली थी। भारत का तिरंगा खुली फिजाओं में लहरा रहा था। 15 अगस्त वो दिन था जब स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री ने संबोधन किया था। आज आपको देश के उस महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक दिन के बारे में बताएंगे, जो भारत के लिए मानों फिर से जन्म हुआ है।

15 अगस्त 1947 को भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने दिल्ली में लाल किले के लाहौरी गेट पर भारतीय राष्ट्रीय ध्वज को फहराया था। पंडित जवाहरलाल नेहरू का वो पहला भाषण जो उन्होंने 14-15 अगस्त की आधी रात को राष्ट्रपति भवन से दिया था, वो अभी भी लोगों की यादों में बसा है।

पंडित नेहरू ने अपने पहले भाषण में कहा था कि कई वर्षों पहले देश के भाग्य को बदलने की कोशिश शुरू हुई थी और अब वक्त आ गया है कि देश अपनी प्रतिज्ञा को पूरी करे। पंडित नेहरू ने अपने पहले संबोधन में कहा था कि आज रात 12 बजे जब पूरी दुनिया सो रही होगी, उस वक्त भारत एक आजाद जीवन के साथ नई शुरूआत कर रहा होगा।

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वहीं 15 अगस्त 1947 को आजादी की पहली सुबह की शुरुआत बिस्मिल्लाह खां के शहनाई की धुन से हुई थी। पंडित नेहरू ने इच्छा जताई थी कि इस मौके पर बिस्मिल्लाह खां शहनाई वादन करें। जिसके बाद आजादी की पूर्व संध्या पर उन्हें बुलावा भेजा गया। जिसके बाद बिस्मिल्लाह खां और उनके साथियों ने राग बजा कर आजादी की सुबह का संगीतमय स्वागत किया था। इसके बाद पंडित नेहरु ने ध्वजारोहण किया था।

आजादी की पहली सुबह पर भी देश में भारी उत्साह का माहौल था और उस वक्त भी हजारों की भीड़ लालकिले पर जश्न मनाने के लिए जुटी थी। आजादी के बाद लाल किले से ब्रिटिश झंडा उतारकर तिरंगा फहराया गया। जिसे एक बार फिर लाल किले को सत्ता के केन्द्र के रूप में स्थापित करने के तौर पर देखा गया।

राजनीति में प्रतीकों का बड़ा महत्व है। यही वजह है कि देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने लाल किले से पहली बार राष्ट्रीय ध्वज फहराया। उसके बाद से प्रत्येक स्वतंत्रता दिवस पर देश के प्रधानमंत्री लाल किले पर तिरंगा फहराते हैं और देश को संबोधित करते हैं।

– क्य़ा आप जानते हैं कि लाल किले पर तिरंगे का इतिहास क्या है ? किस प्रधानमंत्री ने कितनी बार तिरंगा फहराया है? किस-किस प्रधानमंत्री ने लाल किले की प्राचीर से कितनी बार भाषण दिया है। अगर आप ये सब नहीं जानते हैं तो हम आपको इसका पूरा इतिहास बताते हैं।

किस प्रधानमंत्री ने कितनी बार फहराया तिरंगा ?

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1.जवाहर लाल नेहरू

आजाद भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने सबसे ज्यादा बार लाल किले पर तिरंगा फहराया। उन्होंने कुल 17 बार लाल किले पर तिरंगा फहराया।

2. इंदिरा गांधी

जवाहरलाल नेहरू के बाद इंदिरा गांधी ने सबसे अधिक 16 बार लाल किले पर तिरंगा फहराया।

3.मनमोहन सिंह

डॉ। मनमोहन सिंह ने जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी के बाद सबसे ज्यादा बार लाल किले पर तिरंगा फहराया।

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4. नरेंद्र मोदी

भारत के मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 बार लाल किले पर तिरंगा फहराया है। लाल किले से सबसे लंबा भाषण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिया है। 15 अगस्त, 2016 को प्रधानमंत्री मोदी ने 94 मिनट का भाषण दिया था।

5. अटल बिहारी वाजपेयी

अटल बिहारी वाजपेयी ने 6 बार लाल किले पर तिरंगा फहराया।

6. राजीव गांधी

राजीव गांधी ने 5 बार लाल किले पर तिरंगा फहराया।

7. पीवी नरसिम्हा राव

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पी। वी नरसिम्हा राव ने भी 5 बार लाल किले पर तिरंगा फहराया।

8. लाल बहादुर शास्त्री- 2

9. मोरारजी देसाई- 2

10. चौधरी चरण सिंह- 1

11. वीपी सिंह- 1

12. देवेगौड़ा- 1

13. इंद्र कुमार गुजराल- 1

हमारा राष्ट्रीय ध्वज देश की शान है। जब भी हम लहराता हुआ तिरंगा देखते हैं, तो हमारा मन देशभक्ति से ओतप्रोत हो जाता है। भारत का झंडा देश के लोगों के बीच एकता, शांति, समृद्धि और विकास को दर्शाता है। अनगिनत बलिदानों, त्याग और एक लंबी लड़ाई के बाद हमारा देश औपनिवेशिक सत्ता की जकड़ से आजाद हुआ था।

जिसमें देश का ध्वज थाम कर लोगों ने आजादी की लड़ाई में हिस्सा लिया। अपनी इस स्टोरी में हम आपको आजादी की लड़ाई के समय से लेकर भारत के राष्ट्रीय ध्वज के वर्तमान तक के स्वरूप के बारे में जानकारी देंगे और ये भी बताएंगे कि किसने इसकी डिजाइन बनाई। राष्ट्रीय ध्वज के रंगों का क्या अर्थ है।

प्रत्‍येक स्‍वतंत्र राष्‍ट्र का अपना एक ध्‍वज होता है। यह एक स्‍वतंत्र देश होने का संकेत है। भारतीय राष्‍ट्रीय ध्‍वज को इसके वर्तमान स्‍वरूप में 22 जुलाई 1947 को आयोजित भारतीय संविधान सभा की बैठक के दौरान अपनाया गया था, जो 15 अगस्‍त 1947 को अंग्रेजों से भारत की स्‍वतंत्रता के कुछ ही दिन पूर्व की गई थी।

भारतीय राष्‍ट्रीय ध्‍वज में तीन रंग की क्षैतिज पट्टियां

इसे 15 अगस्‍त 1947 और 26 जनवरी 1950 के बीच भारत के राष्‍ट्रीय ध्‍वज के रूप में अपनाया गया और इसके बाद भारतीय गणतंत्र ने इसे अपनाया। भारत में “तिरंगे” का अर्थ भारतीय राष्‍ट्रीय ध्‍वज है। भारतीय राष्‍ट्रीय ध्‍वज में तीन रंग की क्षैतिज पट्टियां हैं।  सबसे ऊपर केसरिया, बीच में सफेद ओर नीचे गहरे हरे रंग की प‍ट्टी और ये तीनों की लंबाई और चोड़ाई एक ही है।

ध्‍वज की चौड़ाई का अनुपात इसकी लंबाई के साथ 2 और 3 का है। सफेद पट्टी के मध्‍य में गहरे नीले रंग का एक चक्र है। यह चक्र अशोक की राजधानी के सारनाथ के शेर के स्‍तंभ पर बना हुआ है। इसका व्‍यास लगभग सफेद पट्टी की चौड़ाई के बराबर होता है और इसमें 24 तीलियां है।

ध्‍वज के रंगों का है ये महत्व 

भारत के राष्‍ट्रीय ध्‍वज की ऊपरी पट्टी में केसरिया रंग है जो देश की शक्ति और साहस को दर्शाता है। बीच में स्थित सफेद पट्टी धर्म चक्र के साथ शांति और सत्‍य का प्रतीक है। निचली हरी पट्टी उर्वरता, वृद्धि और भूमि की पवित्रता को दर्शाती है।

सारनाथ मंदिर से लिया गया है ध्वज का चक्र

इस धर्म चक्र को विधि का चक्र कहते हैं जो तीसरी शताब्‍दी ईसा पूर्व मौर्य सम्राट अशोक द्वारा बनाए गए सारनाथ मंदिर से लिया गया है। इस चक्र को प्रदर्शित करने का आशय यह है कि जीवन गति‍शील है और रुकने का अर्थ मृत्‍यु है।

26 जनवरी 2002 को भारतीय ध्‍वज संहिता में किया गया संशोधन

26 जनवरी 2002 को भारतीय ध्‍वज संहिता में संशोधन किया गया और स्‍वतंत्रता के कई वर्ष बाद भारत के नागरिकों को अपने घरों, कार्यालयों और फैक्‍ट‍री में न केवल राष्‍ट्रीय दिवसों पर, बल्कि किसी भी दिन बिना किसी रुकावट के फहराने की अनुमति मिल गई।

अब भारतीय नागरिक राष्‍ट्रीय झंडे को शान से कहीं भी और किसी भी समय फहरा सकते है। बशर्ते कि वे ध्‍वज की संहिता का कठोरता पूर्वक पालन करें और तिरंगे की शान में कोई कमी न आने दें। सुविधा की दृष्टि से भारतीय ध्‍वज संहिता, 2002 को तीन भागों में बांटा गया है। संहिता के पहले भाग में राष्‍ट्रीय ध्‍वज का सामान्‍य विवरण है।

संहिता के दूसरे भाग में जनता, निजी संगठनों, शैक्षिक संस्‍थानों आदि के सदस्‍यों द्वारा राष्‍ट्रीय ध्‍वज के प्रदर्शन के विषय में बताया गया है। संहिता का तीसरा भाग केन्‍द्रीय और राज्‍य सरकारों तथा उनके संगठनों और अभिकरणों द्वारा राष्‍ट्रीय ध्‍वज के प्रदर्शन के विषय में जानकारी देता है।

भारत के साथ पांच और देश हुए थे आजाद

भारत के साथ –साथ कौन से देश आजाद हुए थे। भारत के अलावा 15 अगस्त को किन देशों को भी मिली थी आजादी। आइए आपको बताते हैं। 15 अगस्त के दिन सिर्फ भारत को ही आजादी नहीं मिली थी। इस तारीख को भारत के अलावा 5 और देश ऐसे हैं, जो स्वतंत्रता दिवस मनाते हैं। इनके नाम है- दक्षिण कोरिया, उत्तर कोरिया, बहरीन, लिचेंस्टीन और कांगो।

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