- अब कोर्ट के आदेशों को संबंधित अधिकारियों और जांच एजेंसियों तक जल्द पहुंचाया जा सकेगा
Updated Date
नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने कोर्ट के आदेशों को संबंधित अधिकारियों और जांच एजेंसियों तक जल्द पहुंचाने के लिए गुरुवार से एक नई व्यवस्था शुरू की है। फास्ट एंड सिक्योर ट्रांसफर ऑफ इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड्स (फास्टर) नाम की इस व्यवस्था की शुरुआत आज एक वर्चुअल कार्यक्रम में चीफ जस्टिस एनवी रमना ने की।
इसके जरिए जमानत, गिरफ्तारी पर रोक जैसे महत्वपूर्ण आदेश जेल अधिकारियों और जांच एजेंसियों तक जल्द पहुंच सकेगी। दरअसल 8 जुलाई 2021 को सुप्रीम कोर्ट ने आगरा जेल में बंद 13 कैदियों की रिहाई का आदेश दिया था। 14 से 22 साल से जेल में बंद यह सभी कैदी अपराध के समय नाबालिग थे। इस जानकारी के आधार पर ही कोर्ट ने उनकी तुरंत रिहाई का आदेश दिया था। लेकिन उनकी रिहाई में 4 दिन से भी ज़्यादा का समय लग गया। इस पर चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली बेंच ने स्वतः संज्ञान लेते हुए सुनवाई शुरू की। 16 जुलाई 2021 को कोर्ट ने ऐसी सुरक्षित व्यवस्था बनाने का आदेश दिया जिससे सुप्रीम कोर्ट की तरफ से जारी हुआ आदेश तुरंत हाई कोर्ट, ज़िला कोर्ट और जेल प्रशासन तक पहुंचाया जा सके।
सुप्रीम कोर्ट के सभी आदेश उसकी वेबसाइट पर अपलोड किए जाते हैं लेकिन अधिकारी आदेश की अभिप्रमाणित प्रति अपने पास पहुंचे बिना उस पर अमल नहीं करते। अब नई व्यवस्था में कोर्ट के आदेश की अभिप्रमाणित प्रति तुरंत संबंधित अधिकारियों तक पहुंचाई जाएगी। ऐसा करते हुए इस बात का खास ख्याल रखा जाएगा कि आदेश सुरक्षित तरीके से पहुंचे उसे हैकिंग या किसी और तरीके से नुकसान न पहुंचाया जा सके। इसके लिए विशेष लॉग-इन का इस्तेमाल होगा। ई-मेल के जरिए जिसे आदेश की सूचना भेजी जाएगी, वही उसे खोल सकेगा।