चुनाव प्रचार में प्रयोग हो रहे प्रतीकों और माध्यमों की भी रोचक कहानी रही है। उम्मीदवार इसका ख्याल रखते हैं और चुनावी समय व परिस्थितियों में इनका प्रयोग भी बखूबी किया जाता है। आइये जानते हैं इनकी रोचक कहानी।
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UP Assembly Election 2022 : चुनाव की तिथियों की घोषणा के बाद उम्मीदवारों के प्रचार में तेजी आ गई है। चुनाव प्रचार के लिए नए-नए तरीकों और साधनों का इस्तेमाल किया जा रहा है, आज के डिजिटल युग में जहां प्रचार में तकनीक सबसे अहम है, वहीं अभी भी परम्परागत प्रचार साधनों का उपयोग उम्मीदवार अपने प्रचार में जरूर करते हैं। चुनाव प्रचार में प्रयोग हो रहे प्रतीकों और माध्यमों की भी रोचक कहानी रही है। उम्मीदवार इसका ख्याल रखते हैं और समय व परिस्थितियों में इनका प्रयोग भी बखूबी किया जाता है। आइये जानते हैं इनकी रोचक कहानी।
1971 में पहली बार हुआ था गाड़ी का प्रयोग
आज के युग में जहां महंगी एसयूवी का चलन आम है और उम्मीदवार फार्च्यूनर,लैंडक्रूजर आदि से चलता है लेकिन शायद आपको यह जानकर हैरानी होगी कि आजादी के बाद हुए कई आम व उपचुनावों में कार्यकर्ताओं को केवल बैलगाड़ी व तांगा ही उपलब्ध होते रहे हैं। गावों में उस समय बैलगाड़ियों के काफिलों से कार्यकर्ता चलते थे और जनता से अपने नेता के लिए वोट मांगते थे।
1967 में पहली बार रायबरेली से चुनाव लड़ने आई इंदिरा गांधी के चुनाव प्रचार में ये बैलगाड़ी या रहकलां ही अहम साधन हुआ करता था।
बता दें कि रायबरेली में 1971 में पहली बार चुनाव प्रचार में गाड़ियों का इस्तेमाल शुरू हुआ। इंदिरा गांधी के चुनाव प्रचार के लिए दिल्ली से कई महिंद्रा डीआई जीप मंगाई गई थी, जिस पर प्रमुख कार्यकर्ता गावों में चुनाव प्रचार करने जाते थे। ख़ुद तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी भी इसी डीआई खुली जीप से चुनाव प्रचार के लिए जाती थी।
डायरी और ग्रीटिंग कार्ड भी लुभाते रहे हैं मतदाताओं को
चुनाव प्रचार के लिए आयोग ने जब सख्ती शुरू की और झंडे बैनर का प्रयोग कम होने लगा तो इसके लिए कई चुनाव में डायरी और ग्रीटिंग कार्ड भी अहम साधन बन रहे। उम्मीदवार डायरी में अपना पम्पलेट रखकर या ग्रीटिंग कार्ड के साथ लोगों को बांटते थे। कुछ तो इनके साथ गुलाब के फूल भी भेंट करते थे। रायबरेली में प्रचार का यह तरीका भी खासा रोचक रहा है, हालांकि बदलते दौर में यह भी अब पुराना हो गया है।
सांप, कुत्ते जैसे बेजुबान भी हैं चुनावी प्रचार का हिस्सा
चुनाव प्रचार में उम्मीदवारों या उनके समर्थकों ने इसके लिए बेजुबानों का भी बखूबी स इस्तेमाल किया है। सोशल मीडिया में इन बेजुबानों के सहारे चुनाव में सुर्खियां भी खूब बटोरी गईं है। 2019 के लोकसभा चुनाव में सोनिया गांधी के लिए प्रचार कर रहीं प्रियंका का एक वीडियो काफ़ी चर्चित हुआ था जिसमें उन्होंने एक सांप को हाथ मे पकड़ रखा था।
सपेरों के बीच उनके प्रचार का भी यह तरीका था जो खूब वॉयरल हुआ। इसके अलावा रायबरेली में पंचायत चुनावों के दौरान उम्मीदवारों ने कुत्तों के शरीर पर पोस्टर लगाकर प्रचार किया था, जिसकी तस्वीरें खूब वॉयरल हुई थी।