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‘आप’ का मोदी सरकार पर हमला, कहा- केंद्र की नीतियों के कारण मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में आ रही गिरावट

आम आदमी पार्टी ने देश के अंदर मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में लगातार आ रही गिरावट पर चिंता जाहिर करते हुए मोदी सरकार की नीतियों को जिम्मेदार बताया। ‘आप’ की मुख्य प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ ने विश्व बैंक के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि मोदी सरकार ने अपने नौ साल के कार्यकाल में देश के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को 50 साल पीछे पहुंचा दिया है।

By Rakesh 

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नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी ने देश के अंदर मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में लगातार आ रही गिरावट पर चिंता जाहिर करते हुए मोदी सरकार की नीतियों को जिम्मेदार बताया। ‘आप’ की मुख्य प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ ने विश्व बैंक के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि मोदी सरकार ने अपने नौ साल के कार्यकाल में देश के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को 50 साल पीछे पहुंचा दिया है।

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कहा देश में मैन्युफैक्टरिंग की वर्तमान में जो स्थिति है, वैसी वर्ष 1970 में थी। 2014 में मैन्युफैक्चरिंग का जीडीपी में 16 फीसद योगदान था, जबकि 2022 में यह घटकर 13.32 फीसद रह गया है। इस वजह से आज देशवासी पांच दशकों में सबसे ज्यादा बेरोजगारी पर पड़े हैं।

उन्होंने कहा कि पीएम मोदी की मेक इन इंडिया स्कीम भी फेल हो गई है। मेक इन इंडिया अपने लक्ष्य के मुताबिक 2022 तक जीडीपी में 25 फिसद का योगदान और 10 लाख रोजगार नहीं दे पाया है। छोटे उद्यमियों पर तरह-तरह के कानून लाद दिए गए हैं। इसके चलते देश में करीब 10 हजार एमएसएमई बंद हो चुके हैं।

उन्होंने सलाह देते हुए कहा कि केंद्र सरकार को आर्थिक मामलों में अरविंद केजरीवाल से सलाह लेनी चाहिए, क्योंकि उनके मुख्यमंत्री बनने के बाद से दिल्ली की अर्थव्यवस्था में क्रांतिकारी परिवर्तन देखने को मिले हैं। पार्टी मुख्यालय में प्रेस वार्ता कर आम आदमी पार्टी की मुख्य प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ ने कहा कि साल 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि झारखंड की महिलाओं को रोजगार के लिए दिल्ली में आकर काम करना पड़ता है।

मोदी की ‘मेक इन इंडिया’ स्कीम फ्लाप

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कहा कि आज यह स्थिति है कि पूरे देश के लोग रोजगार की तलाश में दिल्ली आते हैं। साल 2014 में प्रधानमंत्री मोदी ने ‘मेक इन इंडिया’ नाम की स्कीम निकाली थी। इसके प्रचार के लिए 450 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए गए। इस स्कीम का लक्ष्य साल 2022 तक देश की जीडीपी में मैन्युफैक्चरिंग का योगदान 25 फीसदी करना था और इस क्षेत्र में 10 करोड़ नौकरियां पैदा करनी थी। हालांकि, सबकुछ इसके विपरीत हुआ।

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