उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने प्रदेश के किसानों की समस्याओं को लेकर राजधानी देहरादून में मुख्यमंत्री आवास कूच किया और किसानों के साथ सरकार के खिलाफ हल्ला बोल हुआ ।
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देहरादून। उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने प्रदेश के किसानों की समस्याओं को लेकर राजधानी देहरादून में मुख्यमंत्री आवास कूच किया और किसानों के साथ सरकार के खिलाफ हल्ला बोल हुआ ।
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने सरकार को 20 अक्टूबर तक का अल्टीमेटम देते हुए कहा कि अगर सरकार तब तक किसानों को राहत नहीं देती है तो फिर किसान सड़कों पर उतरेंगे और सरकार के खिलाफ आंदोलन होगा। सूबे में जैसे जैसे चुनाव का वक्त नजदीक आ रहा है जनहित के मुद्दों पर सियासत गरमा गई है।
वैसे तो सरकार किसी की भी हो किसानों की नाराजगी सियासत का फसाना बनी ही है। और इन्ही किसानों की समस्याओं को लेकर अब एक बार फिर से सियासत सड़कों पर हल्ला बोल कर रही है। तभी तो किसानों के मुद्दे पर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने मुख्यमंत्री आवास कूच किया । पूर्व मुख्यमंत्री ने सरकार को अक्टूबर 20 तारीख तक का अल्टीमेटम देते हुए किसानों की सुध लेने को कहा।
नहीं तो फिर से आंदोलन का आवाहन कर दिया। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि ना तो बाढ़ प्रभावित किसानों को आर्थिक मुआवजा समय पर मिल पाया ना ही गन्ना किसानों का बकाया भुगतान देने का काम सरकार कर पाई है। ऐसे में जो मानक है उन मानकों के अनुरूप किसानों को राहत ऊंट के मुंह में जीरे सरीखे ही है।
आरोप पूर्व सीएम थे, मुद्दा किसानों का था तो ऐसे में पूर्व सीएम के आरोपों का जवाब भी सीएम धामी ने खुद ही दिया। विपक्ष किसानों के मुद्दें पर सियासी महाभारत छेड़ सरकार पर तोहम्मत मढ़ रहा है तो वही धामी सरकार के कृषि मंत्री गणेश जोशी सियासी इल्जामों का ये कहते हुए जवाब देते हैं कि अभी तक हरिद्वार जिले में बाढ़ प्रभावित किसानों को 26 करोड रुपए का आर्थिक मुआवजा दिया जा चुका है और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत सिवाय राजनीति के और कुछ नहीं कर रहे हैं।
किसानों की समस्या उत्तराखंड में हमेशा ही राजनीति का केंद्र बिंदु भी रही है। क्योंकि राज्य के मैदानी जिलों में खास तौर पर तराई क्षेत्र में एक बड़ा वोट बैंक किसानों का है जो इस समय मानसून की मार से आहत है। इसलिए इस मुद्दे पर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत धरने की सियासी धमक से अपनी सियासत की जमीन को वोटों की फसल में तब्दील करने में जुटे हैं।